कहते हैं कि अगर आपके इरादे मजबूत हों, तो कोई भी कठिनाई आपके रास्ते की दीवार नहीं बन सकती। इस कहावत को सच्चा कर दिखाया है कर्नाटक की रहने वाली प्रीति एसी ने, जिन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा 2024 में 263वीं रैंक हासिल कर पूरे देश के लिए मिसाल कायम की है।
प्रीति एक साधारण परिवार से आती हैं। उनके पिता चन्नबसप्पा एक कुक (रसोइया) हैं और उन्होंने कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा। आर्थिक स्थिति कठिन थी, लेकिन उनके माता-पिता ने हमेशा अपनी बेटी को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया। प्रीति ने अपनी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के बल पर वह कर दिखाया जिसे कई लोग कोचिंग और संसाधनों के बावजूद नहीं कर पाते।
**शुरुआत का संघर्ष:**
प्रीति का बचपन एक छोटे से गांव में बीता। वहां सुविधाओं की भारी कमी थी, लेकिन पढ़ाई के प्रति उनका जुनून कभी कम नहीं हुआ। वह स्कूल में हमेशा अव्वल आती थीं और अपने शिक्षकों की प्रिय छात्रा थीं। स्कूल के बाद उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई भी सरकारी संस्थान से पूरी की और साथ ही साथ अपने सपनों को आकार देना शुरू कर दिया।
**बिना कोचिंग की तैयारी:**
आज के समय में जब यूपीएससी की तैयारी के लिए महंगी कोचिंग संस्थाओं का सहारा लिया जाता है, प्रीति ने यह यात्रा बिना किसी कोचिंग के पूरी की। उन्होंने इंटरनेट, यूट्यूब चैनल्स, सरकारी वेबसाइट्स और मुफ्त ऑनलाइन सामग्री का भरपूर इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, “अगर आपके पास इंटरनेट है और सीखने की इच्छा है, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं।”
**तीसरे प्रयास में सफलता:**
प्रीति ने तीन बार यूपीएससी का एग्जाम दिया। पहले दो प्रयासों में उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी कमियों को पहचाना, रणनीति बदली और एक बार फिर पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरीं। इस बार किस्मत और मेहनत दोनों ने साथ दिया और उन्हें 263वीं रैंक प्राप्त हुई।
**परिवार का समर्थन:**
उनके पिता चन्नबसप्पा ने कहा, “मैंने कभी स्कूल नहीं देखा, लेकिन मैंने हमेशा चाहा कि मेरी बेटी पढ़े-लिखे और समाज में कुछ बने। आज उसका सपना पूरा हुआ है और मेरे लिए इससे बड़ी खुशी कोई नहीं।”
**संदेश युवाओं के लिए:**
प्रीति की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सोचते हैं कि संसाधनों की कमी से वे पीछे रह जाएंगे। प्रीति ने दिखा दिया कि अगर आपके इरादे सच्चे हों और मेहनत में कोई कमी न हो, तो कोई भी बाधा आपकी राह नहीं रोक सकती।
उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वे कभी हार न मानें। विफलता भी सफलता का हिस्सा है, और हर असफलता से कुछ सीखकर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
**निष्कर्ष:**
प्रीति एसी की सफलता न केवल उनके परिवार की जीत है, बल्कि उन सभी मेहनती और सपनें देखने वाले युवाओं की उम्मीदों को नई उड़ान देने वाली है। उनके जैसे लोग ही इस देश की असली ताकत हैं—जो साधनों के अभाव में भी असाधारण सफलता की मिसाल बनते हैं।
