राज्यभर के सरकारी स्कूलों के करीब 1.5 लाख शिक्षकों में से 80.94 शिक्षक अब बच्चों को पढ़ाई कराने से पहले पाठ योजना तैयार (लेसन प्लान) करते हैं। किस दिन बच्चों का कौन सा पाठ पढ़ाना है, किस पाठ का कौन सा विषय पूरा करना है, कितने दिनों में पूरा कर लेना, इनकी पूरी योजना पहले से ही तैयार करते हैं। इसी पाठ योजना के आधार पर स्कूलों में पढ़ाते हैं।
ये बाते राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी )की ओर से जारी रिपोर्ट में निकली है। दरअसल एससीईआरटी ने 16 से 25 अक्टूबर तक दस दिनों का सर्वेक्षण कराया था। शिक्षक प्रशिक्षण प्रभाव का आकलन करने के लिए हुए सर्वेक्षण में बिहार के 96.6 स्कूलों को कवर किया गया। इनमें बिहार के 75 हजार 256 स्कूलों में से 72हजार 728 स्कूल शामिल थे। राज्यभर के 38 जिले के 537 प्रखंडों के स्कूलों के करीब 1.5 लाख शिक्षकों पर प्रशिक्षण प्रभाव का आकलन किया गया।शिक्षकों को सतत व्यावसायिक विकास (सीपीडी) के तहत छह दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण संचालित है। प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों को प्रशिक्षण के दौरान कक्षा में पढ़ाने के लिए पहले से पाठ योजना तैयार करने पर जोर दिया गया था।
शिक्षकों को दिए गए प्रशिक्षण से शिक्षण प्रथाओं पर कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, यही सर्वेक्षण का मकसद था। सर्वे में यह बात सामनें आई हैं कि प्रशिक्षण कार्यक्रम ने शिक्षकों की शिक्षण तकनीकों और कक्षा में बातचीत को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। जहां सुधार के लिए फीडबैक मिले हैं वहां कार्य किया जाएगा और बेहतर तरीके से इसे लागू किया जाएगा।
-सज्जन आर., निदेशक, एससीईआरटी
सर्वेक्षण में ये बातें आईं सामने
शिक्षक प्रशिक्षण ने शिक्षण प्रथाओं पर सकारात्मक प्रभाव डाला है
कक्षा में बच्चों के साथ संवाद करने पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है
सुधार के लिए कई तरह के फीडबैक मिले है
19 शिक्षक बिना किसी पूर्व योजना के कक्षाएं संचालित करते हैं
सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक 19 प्रतिशत ऐसे शिक्षक हैं जो बिना किसी पूर्व योजना के कक्षाएं संचालित करते हैं। इनमें सर्वे में शामिल 29024 शिक्षक हैं जो सीधा कक्षा में जाकर पढ़ाई शुरू करा देते है। पहले से पाठ पढ़ाने को लेकर कोई योजना नहीं बनाते न ही लेसन प्लान मेंटेन करते हैं।