आदिकाल से चले आ रहे शिव और भगवान विष्णु की भूमि पर भारतीय का आना सौभाग्य समझा जाता है.
सनातनी परंपरा और तीर्थ धाम के आध्यात्मिक महत्व के अनुसार शिव बुद्ध और विष्णु के अद्भुत स्वर्णिम भूमि पर पंचम धाम तीर्थ यात्रा संपन्न हुआ. आर एस एस के इंद्रेश कुमार की अगुवाई में तीस मई से पांच जून तक विदेश की धरती कंबोडिया में विश्व धरोहर बिष्णु मंदिर अंकोरवाट और कुलेन माउंटेन जहां पवित्र नदी की अविरल धारा लाखों शिव का जलाभिषेक करती प्रवाहित होती है,
वहां बौद्ध और हिंदू धर्म के अनुसार पारंपरिक पूजा अर्चना सम्पन्न हुआ .आध्यात्मिक ओज से परिपूर्ण इस यात्रा में विश्व के सात देशों के सौ से अधिक यात्री विशेषकर प्रवासी भारतीय, एनआरआई एवं व्यवसाई घराने समेत बिहार के विभिन्न जिलों सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, भागलपुर, कटिहार, जमुई, शेखपुरा,पटना छपरा, गोपालगंज से आए कई गणमान्य व्यक्तियों ने यात्रा का आनंद प्राप्त किया.
कंबोडिया की सरकार और नाम पेन्ह में स्थापित भारतीय दूतावास के सहयोग से भारतीय यात्रा दल विभिन्न अनुष्ठानों को पूरा कर सके और स्थानीय आकर्षणों का आनंद उठाया.मालूम हो कि कंबोडिया एवं भारत के संयुक्त प्रयासों द्वारा संरक्षित विश्व धरोहरों के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जिसमें कई ऐतिहासिक मंदिर स्थल भी शामिल है.
पंचम धाम न्यास ट्रस्ट के महासचिव शैलेश वत्स ने बताया कि माननीय इंद्रेश कुमार की अगुवाई में वसुदेव कुटुम्बकम के सिद्धांतों पर आधारित पंचम धाम यात्रा की यह 5 वीं कड़ी थी. इन यात्राओं से जहां भारत और कंबोडिया का सांस्कृतिक मेलजोल बढ़ा . वहीं दूसरी ओर भारत से जुड़े व्यवसाई घरानों द्वारा यात्रा के दौरान आर्थिक कड़ी को भी मजबूत किया,साथ ही व्यापारिक विनिवेश के मार्ग भी प्रशस्त हुए.
इंद्रेश कुमार ने बताया कि यह परंपरा भविष्य की बुनियाद खड़ी कर चुका है.शिक्षा के क्षेत्र में भी न्यास द्वारा कंबोडिया में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है.उन्होंने बताया कि आर्थिक- धार्मिक- शैक्षणिक क्षेत्र में हम लोगों ने भारत और कंबोडिया के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का निर्माण किया है, जिसके लिए आप सभी पंचमधाम यात्री बधाई के पात्र हैं. भारत और कंबोडिया के मध्य सौहार्दपूर्ण मित्रता और सहयोग के साथ यह यात्रा का कार्यक्रम चलता रहेगा.
पंचम धाम न्यास के मुख्य ट्रस्टी शैलेश हीरानंदानी ने कहा कि पर्यटन और व्यापार के लिए भी कंबोडिया महत्वपूर्ण और दर्शनीय स्थलों से भरा है. विश्व के सबसे बड़े विष्णु मंदिर अंकोरवाट में ही स्थित है.यहां विनिवेश और पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, भारतीय परंपरा में आदिकाल से चले आ रहे शिव और भगवान विष्णु की भूमि पर भारतीय का आना सौभाग्य समझा जाता है.