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कहलगांव से अनुमंडल संवाददाता कन्हैया खंडेलवाल की रिपोर्ट

व्यवहार न्यायालय कहलगाँव परिसर में विधिक सेवा समिति के सौजन्य से नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ़ शपथ दिलाई गई. आयोजित कार्यक्रम में समिति की अध्यक्ष अवर न्यायाधीश श्रीमती शिल्पा प्रशांत मिश्रा अधिवक्ता बंधु एव सभी न्यायिक कर्मचारी शामिल थे, अवर न्यायाधीश शिल्पा प्रशांत मिश्रा ने उपस्थित लोगों को शपथ दिलाते हुए कहा कि नशीली चीजों और मादक पदार्थों के निवारण के लिए प्रत्येक वर्ष 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाया जाता हैं।

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यह दिवस 1989 से हर साल 26 जून को मनाया जाता है जो दिवस 7 दिसंबर 1987 को जनरल असेंबली के प्रस्ताव द्वारा स्थापित किया गया था। मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम, जिसे नशीली दवाओं के सेवन की रोकथाम के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जो मादक द्रव्यों के सेवन की शुरुआत को रोकने या मनो-सक्रिय पदार्थों के उपयोग से जुड़ी समस्याओं के विकास को सीमित करने का प्रयास करती है। रोकथाम के प्रयास व्यक्ति या उसके आस-पास के वातावरण पर केंद्रित हो सकते हैं। इस मौके पर मनीष पांडे, नाजिर अरविंद कुमार, वरीय सहायक चंदन नाथ चौधरी, सिरसतेदार संतोष पांडे, संदीप कुमार ओमप्रकाश झा प्रवीण कुमार, अमित कुमार, फिरोज रजा. पंकज कुमार , सुमित्रा देवी मौजूद थी.

दूसरी और समिति के ही तत्वाधान में स्थानीय गणपत सिंह उच्च विद्यालय में भी जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें पैनल अधिवक्ता सुधांशु चौधरी और पारा लीगल वालंटियर कुंदन कुमार ने भाग लिया था और उपस्थित छात्रों शिक्षकों को संबोधित करतेहुए शपथ दिलाई गई, धन्यवाद ज्ञापन मनीष पांडे ने दिया. साथ ही व्यवहार न्यायालय परिसर भागलपुर में स्थित वरिष्ठ अधिवक्ता डॉक्टर राजीव कुमार सिंह ने अपने चेंबर में उपस्थित अधिवक्ताओं मित्रों एवं स्थानीय दुकानदारों फुटकर विक्रेताओं तथा मजदूरों के बीच नशा उन्मूलन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया और नशा नहीं करने के लिए संकल्प दिलाया और
अधिवक्ता डॉ राजीव कुमार सिंह ने कहा कि आज नशे के कारण ही विभिन्न प्रकार के अपराध, अपहरण, बलात्कार, मारपीट, मोबाइल चैन छीनना, सड़क दुर्घटना एवं आतंक का मुख्य कारण बन बैठा है

यह अत्यंत दुखद है की सर्वाधिक शिकार हमारे बच्चे एवं युवा बन रहे हैं नशा पहले धन उसके बाद शरीर और फिर चरित्र का पतन कर डालता है नशे जैसी गंभीर समस्या के रहते हुए कोई भी व्यक्ति शारीरिक मानसिक चारित्रिक और आर्थिक रूप से स्वाभिमानी नहीं बन पा सकता है I सच्चे अर्थों में हमारा समाज और राष्ट्र पूर्ण रूप से विकसित बन सकता है जब नशे पर पूर्ण रूप से रोक लगाई जाए I

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