भागलपुर जिले में छह-सात मानसिक विकृति के मरीज इलाज करवा रहे। इस बीमारी में मर्द का स्वभाव औरत की तरह हो जाता है। पैराफीलिया बीमारी 14 वर्ष से लेकर किसी भी उम्र में हो सकती है। अश्लिल किताब पढऩे या वीडियो देखने से भी अचानक दिमाग में विकृति आती है।
भागलपुर। पैराफीलिया एक मानसिक बीमारी है। 14 वर्ष से लेकर किसी भी उम्र का व्यक्ति शिकार हो सकता है। भागलपुर जिले में एक वर्ष में करीब पांच ऐसे लोगों का इलाज किया या है जो हैं तो पुरुष लेकिन हरकत महिला की तरह करते हैं और महिलाओं की तरह सजते भी हैं। चिकित्सक के मुताबिक इस बीमारी को काउंसिलिंग और दवा के जरिए कम तो कर सकते हैं लेकिन बीमारी समाप्त नहीं कर सकते।
हाल के दिनों में मानसिक रोग विशेषज्ञ डा पंकज मनस्वी ने कहा कि हाल ही में एक व्यक्ति का इलाज किया जा रहा है। जिसे शादी करने की इच्छा नहीं है। स्वजन उसे इस शिकायत पर लेकर आए कि बेटा लड़की के तरफ आकर्षित नहीं होता है। हालांकि लड़की की तरह ही हरकत, सजना और हरकत भी करता है।
स्वजन ने कहा कि रात में जब सभी सो जाते हैं तो बेटा चुपके से महिलाओं की तरह सजने लगता है। सलवार-सूट पहनता है और कभी-कभी साड़ी भी। पहले से ही बहन और मां की एक-दो साड़ी अपने कमरे में रख लेता है। इसकी भनक जब उसकी मां को लगी और एक रात बेटा को सजता देखकर अचंभित रह गई। तब इसकी शादी भी तय कर दी गई है लेकिन वह करना नहीं चाहता। डा. मनस्वी ने कहा कि अश्लिल पुस्तक पढऩे या वीडियो देखने से अचानक मानसिक विकृति हावी हो जाती है।
क्या है बीमारी
14 वर्ष से लेकर किसी भी उम्र में बीमारी हो सकती है, बीमारी का पता किसी को नहीं चल पाता। रोग होने पर पुरुष महिला की तरह हरकत करने लगता है। अपनी मंशा पूरा करने के लिए जब कोई घर में नहीं रहता तो महिलाओं की तरह सजने लगता है। चिड़चिड़पन भी होता हे। शौक पूरा नहीं होने की वजह से ज्यादा गुस्सा आने लगता है।
नवगछिया का 20 वर्षीय युवक का इलाज मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. पंकज मनस्वी के क्लीनिक में किया जा रहा है। उसे महिलाओं की तरह कपड़़े पहनने और सजने का शौक है। जब स्वजन को इसकी जानकारी हुई तो वे इलाज करवाने लेकर आए।
खंजरपुर के 55 वर्षीय बुजुर्ग को भी यह बीमारी छह माह पूर्व लगी थी। महिलाओं के प्रति आकर्षण इतना बढ़ गया कि बहू के सामने भी महिला की तरह हरकत करने लगे। अभी इलाजरत हैं।
एक वर्ष में पैराफीलिया के तीन-चार मरीज इलाज करवाने आते हैं। ऐसे मरीजों काी घर के सदस्यों के द्वारा भी काउंसिलिंग की जानी चाहिए। स्वजनों के समझाने का प्रभाव दवा से ज्यादा करेगा। – डा. पंकज मनस्वी, मानसिक रोग विशेषज्ञ, सदर अस्पताल