मान्यता है कि भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को (रामनवमी 2023) हुआ था। इसलिए इस तिथि को रामनवमी के नाम से जाना जाता है। इस तिथि को भक्त भगवान राम का जन्मोत्सव मनाते हैं और विधि विधान से उनकी पूजा (नवमी पूजा विधि) करते हैं।

रामनवमी तिथि 30 मार्च गुरुवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान राम की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11.11 बजे से दोपहर 1.40 तक है। इस तिथि के दिन भक्त नवरात्रि का उपवास तो रखते ही हैं, भगवान राम के भक्त उनको झूला झुलाते हैं। रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करते हैं, कई जगह भजन-कीर्तन किया जाता है। भगवान को भक्त पालने में झुलाकर प्रसन्न होते हैं। इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की शुरुआत की थी।

रामनवमी पूजा विधिः

प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के मुताबिक रामनवमी की पूजा इस तरह करनी चाहिए।

1. सबसे पहले स्नान ध्यान कर पूजा स्थल पर सभी जरूरी पूजा सामग्री के साथ बैठें।

2. पूजन सामग्री में तुलसी दल और कमल का फूल जरूर रहे।


3. इसके बाद षोडषोपचार पूजा करें।

4. खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।


5. पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी को तिलक लगाए।

रामनवमी का महत्वः

रामनवमी तिथि बेहद खास होती है। इसकी वजह यह है कि इस दिन भगवान राम की पूजा तो होती है, इस दिन नवरात्रि भी संपन्न होता है। मान्यता है कि इससे श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है और उनके सभी कष्ट का निवारण होता है।

कथाः धार्मिक ग्रंथों के अनुसार त्रेता युग में रावण ने ब्रह्माजी से अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया था। इसके बाद वह लोगों पर अत्याचार करने लगा। उसके अत्याचार से देवता और मानव असह्य पीड़ा सह रहे थे। इससे दुखी देवता भगवान विष्णु से प्रार्थना करने उनके पास पहुंचे, उनकी प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने रामनवमी के दिन माता कौशल्या के गर्भ से अवतार लिया। इसके बाद तमाम लीलाएं दिखाते हुए भगवान ने रावण के अत्याचार से मानव और देवताओं को पीड़ा से मुक्त कराया।

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