सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालत समाज को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाली संस्था नहीं है।

कोर्ट की ओर से कहा गया कि किसी भी मामले पर फैसले के समय अदालत कानून से बंधी होती है।

शीर्ष अदालत ने दो बच्चों की हत्या के मामले में महिला की समय पूर्व रिहाई का आदेश देते हुए यह टिप्पणी की।

उक्त महिला के एक पुरुष से अवैध संबंध थे, जो उसे अक्सर डराया-धमकाया करता था। इसलिए महिला ने अपने बच्चों की हत्या करके आत्महत्या करने का निर्णय लिया।

उसने पौधों में डालने वाला कीटनाशक बच्चों को पिला दिया और जब खुद पीने लगी, तो उसकी भतीजी ने उसे नीचे गिरा दिया। बच्चों को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

मामले में निचली अदालत ने महिला को जुर्माने के साथ उम्रकैद की सजा सुनाई। हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि बरकरार रखी।

महिला ने 20 साल कैद में गुजारने के बाद समय पूर्व रिहाई की अर्जी दी। हालांकि तमिलनाडु सरकार की राज्य समिति ने रिहाई की सिफारिश को खारिज कर दिया था।

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