रिपोर्ट: इन्द्रदेव
सहरसा जिला जहाँ वट सावित्री पर्व सोमवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ जिले भर के विभिन्न गांवों में मनाया गया। जहाँ शादीशुदा जोड़ो ने सुबह से ही घरों में पूजा-अर्चना करने के साथ ही मन्दिर और चौक चौराहे में जाकर वट वृक्ष की पूजा की।
इस पर्व को लेकर शाहपुर स्थित देवनवन शिवधाम, नवहट्टा स्थित मन्दिरो सहित पूर्वी कोशी तटबंध के भीतर के क्षेत्र में भी वट वृक्षों की पूजा करने को महिलाओं की भीड़ वटवृक्ष के नीचे लगी रही।
मंदिर के पुजारी नारायण झा कहते हैं कि सनातन संस्कृति में सारे पर्व प्रकृति पूजा पर आधारित हैं। यहां वृक्षों को उनके गुणों के आधार पर भगवान मानकर पूजा जाता है। लाडली रिस्की कहती है की वटवृक्ष की पूजा करने से घरों में सुख व समृद्धि बनी रहती है। यह पर्व अखंड सौभाग्य,
पति और बच्चों की लंबी आयु के लिए मनाया जाता है। पर्व पर वट की पूजा के लिए सुबह से ही घरों में तैयारियां शुरू हो गई थीं। पूजा करने के बाद महिलाएं पूजा की सामग्री लेकर नजदीकी स्थलों पर लगे वट वृक्षों के पास पहुंचीं। यहां पर वृक्ष के तने में कच्चा सूत बांधते हुए वट की पूजा की गई। खासकर इनमें नवविवाहित महिलाएं की भागीदारी अधिक देखने को मिली।