बिहार में नीतीश-तेजस्वी सरकार द्वारा कराई गई जातीय गणना की रिपोर्ट पर सरकार के विरोधी दलों की ओर से जारी राजनीति तेज हो गई है। बीजेपी, जीतन राम मांझी की पार्टी हम के अलावे जेडीयू के नेता भी इसके आंकड़ों पर सवाल उठा रहे हैं। आरएलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने तो यहां तक दावा किया कि जाति पूछने के लिए कोई कर्मी उनके यहां आए ही नहीं। आरोप लगाए जा रहे हैं कि रिपोर्ट में भारी गड़बड़ी है। इसके बाद इसी को लेकर कुशवाहा आज राजभवन मार्च करेंगे।
दरअसल, राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद) ने 14 अक्टूबर को पटना के गांधी मैदान से विशाल राजभवन मार्च की घोषणा की है। इसको लेकर वो लगातार पटना और उसके आसपास के इलाकों में जनसंपर्क का अभियान चलाया जा रहा है। सभी जिलों के मुख्यालयों पर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता धरना देंगे। कुशवाहा ने आरोप लगाया है कि जाति जनगणना को जल्दबाजी में राजनीतिक लाभ लेने के लिए बिहार की कथित सुशासन की सरकार संपन्न कराया।
इसमें कई जातियों खासकर लव-कुश,एससी ,एसटी ,अति पिछड़ा ,तथा अन्य के आंकड़ों को पहले की आंकड़ों की तुलना में कम करके बताया गया जो गलत है। धरना के बाद जिलाधिकारी को माध्यम से सरकार को ज्ञापन दिया जाएगा। कुशवाहा की पार्टी नीतीश सरकार पर रिपोर्ट में सुधार की मांग कर रही है।
उधर, राजद के प्रवक्ता सुबोध मेहता ने उपेन्द्र कुशवाहा को पत्र लिखकर राजभवन मार्च की जगह PM मोदी से मिलने की सलाह दी है। राजद ने पत्र लिखकर कहा कि – आप जाति जनगणना को लेकर राज्यपाल के यहां मार्च करने वाले हैं। इसे सिर्फ और सिर्फ एक सस्ती राजनीतिक हथकंडे के अलावा और क्या कहा जा सकता है, क्योंकि जिन मुद्दों पर आपने केंद्र सरकार को छोड़कर इस्तीफा दिया था, वे आज भी जस के तस मौजूद हैं और यह कहने पर मजबूर कर रहे हैं कि आप राजनीतिक रूप से दिवालिया होकर केवल कुशवाहा समाज और पिछड़े वर्ग को हमेशा की तरह फिर दिग्भ्रमित कर रहे हैं।