संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने बुधवार को भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने दोनों देशों से ‘अधिकतम सैन्य संयम’ बरतने का आह्वान किया है। महासचिव की यह प्रतिक्रिया उस समय आई जब भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित आतंकवादी ढांचों पर हमले किए। इन ढांचों का उपयोग भारत में आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए किया जा रहा था।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने एक बयान में कहा, “महासचिव नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सैन्य अभियानों को लेकर बहुत चिंतित हैं। वह दोनों देशों से अत्यधिक सैन्य संयम बरतने की अपील करते हैं। दुनिया भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह का सैन्य टकराव बर्दाश्त नहीं कर सकती।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करते हुए ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य सीमा पार मौजूद उन आतंकी शिविरों को नष्ट करना है जहां से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने की तैयारी की जा रही थी। भारतीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह एक सटीक और सीमित कार्रवाई थी जो केवल आतंकी ढांचों को लक्षित करके की गई।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अपील का उद्देश्य क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखना है। भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु हथियारों से संपन्न देश हैं और इनके बीच किसी भी प्रकार का टकराव न केवल दक्षिण एशिया के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। इसीलिए गुतारेस ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से चेतावनी दी है कि ऐसी स्थिति में दोनों पक्षों को कूटनीति और संवाद के मार्ग को अपनाना चाहिए।
भारत ने बार-बार कहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाता है और सीमा पार से हो रहे हमलों को रोकने के लिए वह आवश्यक कदम उठाएगा। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य कार्रवाई को उसकी संप्रभुता का उल्लंघन बताया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की बात कही है।
ऐसे समय में जब सीमा पर तनाव चरम पर है, संयुक्त राष्ट्र का यह बयान अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों को बल देने वाला है। गुतारेस की यह टिप्पणी न केवल दक्षिण एशिया में शांति बनाए रखने की अपील है, बल्कि यह इस बात का संकेत भी है कि आतंकवाद और सैन्य टकराव से निपटने के लिए वैश्विक एकजुटता और संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
भारत और पाकिस्तान दोनों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एकतरफा सैन्य कार्रवाई की बजाय अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समझदारी के साथ आगे बढ़े, ताकि क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में ठोस प्रगति हो सके।