बिहार पुलिस पर हमले की कई खबरें संज्ञान में आती रही हैं लेकिन अपने ही हमलावरों को पुलिस पकड़ने में नाकाम हो जाए तो ये बड़ा सवाल खड़ा करता है। अकेले भागलपुर में पुलिस पर हुए हमले के 20 मामले लंबित हैं।
भागलपुर: जिले में पुलिस पर हमले के संबंधित 20 मामले दो-तीन वर्षों से लंबित पड़े हैं। इनमें से 14 मामले ऐसे हैं, जिनमें आरोपितों की अबतक गिरफ्तारी नहीं हुई है। छह मामलों में अनुसंधान कार्य ही पूरा नहीं किया जा सका है। भागलपुर पुलिस की इस लचर कार्यशैली पर पुलिस मुख्यालय भी हैरान है। पुलिस मुख्यालय के अपर पुलिस महानिदेशक (विधि-व्यवस्था) ने भागलपुर के वरीय आरक्षी अधीक्षक बाबूराम से इस मामले पर रिपोर्ट तलब की है।
जानकारी के अनुसार, अधिकांश मामले शहरी थाना क्षेत्र से जुड़े हैं। बरारी थाने में तीन नवंबर 2019 को पुलिस पर हमला किया गया था। तीन वर्ष बीतने के बावजूद पुलिस इस मामले से जुड़े 28 अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं कर सकी। इस कारण यह मामला अबतक लंबित पड़ा है। कोतवाली थाना क्षेत्र में भी 4 फरवरी 2019 को पुलिस पर हमले का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में भी सात आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। वहीं, 19 दिसंबर 2019 को पुलिस पर हमले का एक अलग मामला कोतवाली थाने में दर्ज किया गया था। इस मामले में भी 28 लोग आरोपित बनाए गए थे। इनकी गिरफ्तारी नहीं होने की वजह से यह मामला पेंडिंग है। कोतवाली थाना क्षेत्र में दो फरवरी 2022 को, मुजाहिदपुर में तीन मार्च 2022 को और कोतवाली में 25 अप्रैल 2022 को पुलिस पर हमले का मामला दर्ज किया गया था। लेकिन इन मामलों में भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है।
इससे जाहिर होता है कि पुलिस अपने हमलावरों को भी नहीं पकड़ पा रही है। इन मामलों में अलग-अलग तरह की चर्चाएं हैं। ज्ञात हो कि पुलिस पर हुए हमले के मामलों में सरकारी क्षति के साथ-साथ पुलिसकर्मी घायल भी हुए थे। ऐसे मामले बिहारभर में सुर्खियों में रहे बावजूद इसके पुलिस की शिथिलता कई सवाल उठाते हैं। जून 2022 में अकेले सुल्तानगंज थाने पुलिस पर हमले के तीन मामले दर्ज किए गए लेकिन तीनों मामलों का अनुसंधान पूरा नहीं हो पाना, गंभीर मसला है। एडीजी विधि-व्यवस्था के पत्र के बाद भागलपुर पुलिस महकमे में तेजी से ऐसे मामले में गिरफ्तारी करने की कवायद की जा रही है। लंबित मामले के अनुसंधान को जल्द पूरा करने का निर्देश भी एसएसपी द्वारा जारी कर दिया गया है।