होली मनाने के लिए लिए लोग अपने अपने प्रदेश में पहुंच रहे हैं. इसको लेकर रेलवे की तरफ से लगातार ट्रेनों को लेकर अपडेट जारी कर रहा है. इस बार होली को लेकर लोगों के मन में कन्फ्यूजन की स्थिति उत्पन्न हो गई है. बता दें कि होली का त्योहार फाल्गुन महिने के पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है. होली के शुरुआत होलिका दहन के साथ होता है. और यह फाल्गुन की पूर्णिमा को होता है. इसके बाद चैत महिने से होली की शुरुआत हो जाती है. लेकिन इस बार होली को लेकर लोगों के मन में संसय की स्थिति बनी हुई है. तो आइए आपको बताते हैं होली में होने वाले कंफ्यूजन के बारे में…

तो इस बार होली को लेकर कन्फ्यूजन की शुरुआत फाल्गुन पूर्णिमा से हैं. फाल्गुन पूर्णिमा इस बार 17 तारीख को हैं और इस दिन पूर्णिमा की शुरुआत दोपहर को 1 बजकर 30 मिनट से शुरू होती है. और इसका अंत 18 मार्च को दोपहर के 12 बजकर 48 मिनट पर होगी. बता दें कि पूर्णिमा के दिन ही होलिका का दहन होता है. वह भी रात में… ऐसे में पूर्णिया को होलिका दहन का शुभ मुर्हूत शाम को 6 बजकर 33 मिनट से 8 बजकर 58 मिनट तक है. इसके बाद रात में 1 बजे के बाद होलिका दहन का शुभ मुर्हूत आ रहा है. पूर्फाल्गुन पूर्णिमा इस बार 17णिमा की रात में भद्रा मुख का प्रवेश हो रहा है उसका समय है 17 फरवरी को रात के 10 बजकर 14 मिनट से 12 बजकर 11 मिनट तक. वहीं भद्रा पुच्छ का काल है रात में 9 बजकर 4 मिनट से 10 बजकर 14 मिनट तक. भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं किया जाता है.

तो आइए अब बात कर लेते हैं होली को लेकर. होली का तैयार चैत मास के प्रतिपदा यानी की पहले दिन मनाया जाता है. भारतीय धर्म ग्रंथों और पंचांगों को माने तो इस बार पूर्णिमा का 18 फरवरी को दोपहर के 12 बजकर 48 मिनट पर समाप्त हो रहा है. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि आप 18 मार्च को दोपहर के बाद होली खेल सकते हैं. क्योंकि होली का त्योहार चैत मास से पहले दिन खेला जाता है. जोकि इस बार दोपहर के बाद आ रहा है. धर्मग्रंथ के जानकारों की माने तो एक दूसरा तर्क ये दिया जा रहा है कि 18 मार्च को सूर्य का उदय पूर्णिमा में हुआ है इसीलिए यह दिन पूर्णिमा होगा और 19 मार्च को जब सूर्य का उदय होगा तो वह प्रतिपदा यानी की चैत मास का पहला दिन होगा इस लिहाज से होली 19 मार्च को खेला जाएगा.

देश में अगर हम क्षेत्र के हिसाब से देखें तो सुबह सुबह का समय होता है जिसमें धूलेड़ी होली खेली जाती है. इसमें लोग अपने आप पास की गंदगी को दूर करते हैं साफ सफाई करते हैं और इसी गंदगी के साथ अपने मन में बैठे गंदगी को भी दूर कर सके ताकि आने वाले दिनों में दोनों का प्यार आगे बढ़ता रहे. इसके बाद दोपहर का समय होता है रंग गुलाल के साथ होली खेलने का. इसमें लोग अपने दोस्तों के यहां जाते हैं एक दूसरे से आशार्वाद लेते हैं और छोटो को प्यार देते हैं. और इस तरह इनका होली का त्योहार समाप्त होता है. होली का त्योहार प्यार मोहब्बत का त्योहार है इस पर्व में लोग पुराने गिले सिकवे भूल कर एक दूसरे से गले मिलते हैं और प्यार बांटते हैं. हम उम्मीद करते हैं यह होली आपके जीवन में रंगों की बहार लेकर आए… हैपी होली….

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