मुंगेर विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. श्यामा राय ने कहा कि भारतीय इतिहास गौरवान्वित करने वाला है। लेकिन वक्त का तकाजा है कि अब देश की जनता के हिसाब से इतिहास लिखा जाय। डॉ. राय, गुरुवार को टीएनबी कॉलेज द्वारा टीएमबीयू के बहुउद्देशीय प्रशाल में आयोजित इतिहास परिषद के दसवें अधिवेशन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थी। इस मौके पर बतौर विशिष्ट अतिथि नगर विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि इतिहास का लेखन तथ्यों को समझ-परखकर करना चाहिए। अधिवेशन के मौके को भी नगर विधायक ने राजनीति का मंच बनाते हुए कहा कि भाजपा सरकार आज की तारीख में देश के इतिहास को तोड़-मरोड़ रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय की डीन सीमा बाबा ने भी इतिहास से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर अपना विचार रखा। इस मौके पर कुल कुलपति डॉ. कुमारेश प्रसाद सिंह ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और इतिहास संस्मरण। प्रति कुलपति रमेश कुमार ने इस मौके पर एक और इतिहास लिखने पर जोर दिया। इससे पहले कुल गीत के साथ मुख्य अतिथि समेत अन्य मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर अधिवेशन का आगाज किया। फिर छात्राओं ने स्वागत गान गाया तो स्वागत भाषण टीएनबी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय कुमार चौधरी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. दयानंद राय व संचालन डॉ. मनोज कुमार ने किया।
तकनीकी सत्र में हुए विविध कार्यक्रम
दूसरा सत्र तकनीकी सत्र के नाम रहा, जिसे टीएनबी कॉलेज के अलग-अलग हाल में अलग-अलग विषय के प्रभागीय सत्र आयोजित किया गया। प्राचीन प्रभाग सत्र के अध्यक्ष सह पटना विश्वविद्यालय के प्रो. सुरेंद्र कुमार ने “पाल कालीन कला के सामाजिक आयाम तथा आगे शोध की संभावना” पर चर्चा की। मध्यकालीन प्रभाग के अध्यक्ष प्रो. हसन इमाम ने “मध्यकालीन बिहार: एक दृष्टि” पर विस्तार से चर्चा किया। जबकि आधुनिक प्रभाग के अध्यक्ष प्रो. धर्मेंद्र कुमार (दरभंगा) ने “बिहार का हिंदीकरण” विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। अंत में आधुनिक समकालीन प्रभाग की अध्यक्षता कर रहे रविंद्र भारतीय विश्वविद्यालय कोलकाता से आये प्रो. हितेंद्र पटेल ने अपना विचार रखा। प्राचीन प्रभाग में कुल 20 शोध पत्र, मध्यकालीन प्रभााग में 16, आधुनिक प्रभाग में 40 से 50 तो समकालीन प्रभाग में 15 शोध पत्र पढ़े गये। शाम पांच बजे से टीएनबी कॉलेज के प्रशाल में दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन एवं विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग प्रो सीमा बाबा ने राधाकृष्ण चौधरी की याद में अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए मुंडेश्वरी मंदिर के संरचना पर विस्तार से प्रकाश डाला। अंत मं टीएनबी कॉलेज सांस्कृतिक परिषद की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गयी।