ढोलबज्जा। मध्य विद्यालय ढोलबज्जा की स्थिति इन दिनों बेहद चिंताजनक बनी हुई है। विद्यालय में मात्र दो शिक्षक 480 छात्र-छात्राओं की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। ऐसे में यहां शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों के भविष्य का क्या हाल होगा, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। विद्यालय में एक से लेकर आठवीं तक की कक्षाएं संचालित होती हैं, लेकिन कक्षा लेने वाले शिक्षकों की संख्या सिर्फ दो है। स्थिति यह है कि जब दोनों शिक्षक दो अलग-अलग वर्गों में पढ़ा रहे होते हैं, उसी समय बाकी छह वर्गों के बच्चे बिना पढ़ाई के यूं ही बैठे रहते हैं।
विद्यालय में कंप्यूटर की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन कंप्यूटर शिक्षक के अभाव में वह पूरी तरह बेकार हो चुका है। कंप्यूटर पर धूल की मोटी परत जमी हुई है, जो इस बात का प्रमाण है कि उनका उपयोग महीनों से नहीं हुआ। सरकार द्वारा डिजिटल एजुकेशन को बढ़ावा देने की बातें तो की जाती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर मवि ढोलबज्जा जैसे स्कूलों में स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है।
मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। एनजीओ की ओर से बच्चों के लिए खाना बनाकर भेजा जाता है, लेकिन स्कूल पहुंचते-पहुंचते भोजन खराब होने लगता है। कई बार खाना खट्टा हो जाता है, जिससे बच्चे इसे खाने से परहेज़ करते हैं। मजबूरी में अधिकतर बच्चे मध्याह्न भोजन को डस्टबिन में फेंक देते हैं। भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता दोनों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक कपूर राम बताते हैं कि उन्होंने शिक्षा विभाग को कई बार आवेदन देकर शिक्षकों की कमी को दूर करने की मांग की है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। दो शिक्षकों के भरोसे आठ कक्षाओं को संचालित करना किसी भी तरह संभव नहीं है। इससे न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि स्कूल की समग्र व्यवस्था भी चरमराई हुई है।
वास्तव में, मवि ढोलबज्जा में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है। अधिक शिक्षक नियुक्त किए जाएं, कंप्यूटर शिक्षक उपलब्ध कराया जाए और मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता पर सख्ती से निगरानी हो। अन्यथा यहां के सैकड़ों बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रह जाएंगे, जिसका असर उनके संपूर्ण भविष्य पर पड़ेगा।
