बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी ने जातीय गणना के आंकड़ों पर सवाल उठाया है। मांझी ने कहा है कि सरकार ने जातीय गणना की जिस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है उसमें बहुत सारी खामियां है और सरकार से पूछा है कि आखिर यादवों की संख्या अचानक 4 फीसदी से 14 फीसदी कैसे हो गई?

मांझी ने यादवों की बढ़ी संख्या पर सवाल उठाते हुए कहा है कि पिछली बार 1931 में जब जातीय गणना हुई थी, उस वक्त यादव जाति के लोगों की संख्या बिहार में महज 4 फीसदी से कुछ अधिक थी लेकिन इस जातीय गणना में यादवों की संख्या 14 फीसदी से अधिक बताई जा रही है। यादव जाति के लोगों की संख्या इतनी कैसे बढ़ गई और दूसरी जातियों के लोगों की संख्या कम कैसे हो गई। यादव के सभी उपजातियों को एक साथ मिलाकर गणना कर दी गई है।

मांझी ने कहा कि कई जातियां हैं जिनका कोड एक होना चाहिए था लेकिन उसे अलग-अलग कर दिया गया है। भुईयां और मुसहर का कोड एक होना चाहिए था। सर्वदलीय बैठक में इन सब चीजों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अवगत भी कराया है। वहीं संख्या के आधार पर सत्ता में हिस्सेदारी के सवाल पर मांझी ने कहा कि अब जब जातीय गणना हो गई है तो जिसकी जितनी संख्या है उसे उतनी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *