भागलपुर में शिक्षा का मंदिर माने जाने वाले विद्यालय में पढ़ाई की जगह मजदूरी करती छात्राओं की तस्वीर सामने आई है। मिड-डे मील के लिए आलू की बोरी सिर पर लादे छोटी-छोटी बच्चियां चार सौ मीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंची।
गरीब मां-बाप बच्चों के भविष्य के लिए हमेशा चिंतित रहते है। उनका सपना रहता है कि बच्चों की शिक्षा बेहतर हो ताकि भविष्य में आने वाले परेशानियों से बचा जा सके। इसलिए अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षित होने के लिए स्कूल भेजते हैं। हालांकि, जब उनके बच्चों से स्कूल में पढ़ाई के बदले समानों की ढुलवाई कराई जाए, तो उन अभिभावकों के दिलों पर क्या असर पड़ेगा।
भागलपुर के जगदीशपुर स्थित उर्दू प्राथमिक विद्यालय सन्हौली (कन्या) में नौनिहालों का सामान उठाते एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई है। यहां के मुखिया ने स्कूल ड्रेस में छात्राओं द्वारा सिर पर बोरी लेकर जाते वीडियो अधिकारियों को भेजा है। इसमें चौथी कक्षा में पढ़ने वाली बच्चियों के सिर पर आलू की छोटी-छोटी बोरियां लेकर स्कूल जाते हुए देखा गया। वीडियो देखकर किसी का भी दिल पिघल जाए। अभिभावक तो बेचारे अभिभावक ठहरे।
बताया गया कि ये छात्राएं स्कूल से करीब चार सौ मीटर दूर दरगाह के पास से एमडीएम के लिए आलू लाने गई थी। हालांकि, चतुर्थ कक्षा में पढ़ने वाली अलीशा, मोमीना, मोक्करमा, नोसीरीन ने कहा कि वे सभी अपनी मर्जी से गई थी। वहीं, प्रभारी प्रधानाध्यापिका बीबी सालेहा खातुन ने बताया कि मैं बच्चों को सामान लाने नहीं भेजती हूं। वे अपनी मर्जी से चले जाते हैं।
वहीं, नाम नहीं छापने की शर्त पर स्कूल के एक कर्मी ने बताया कि बच्चों को सामान लाने प्रधानाध्यापिका ही भेजती हैं। मुखिया मरगूब ने कहा कि अक्सर बच्चों से सामान ढुलवाई की जाती है। समझाने पर भी कोई सुधार नहीं होता है। कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग, बीडीओ और बालश्रम आयोग को भी वीडियो उपलब्ध कराई गई है। मामले के बाबत बीईओ रामजी राय ने कहा कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी।