गोपालपुर। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार को हुई गंभीर लापरवाही ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत 10 महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन किए जाने के बाद उन्हें आरएल स्लाइन चढ़ाया जा रहा था। इसी दौरान एक महिला के परिजनों ने देखा कि स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा जो स्लाइन चढ़ाया जा रहा है, वह पिछले माह ही एक्सपायर हो चुका था।
परिजनों ने तत्परता दिखाते हुए इसका वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। हालांकि अपना बिहार झारखंड वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है, लेकिन वीडियो के प्रसार के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। जैसे ही इसकी सूचना स्वास्थ्य कर्मियों को मिली, उन्होंने तुरंत एक्सपायर्ड स्लाइन हटाकर मरीज को नया स्लाइन लगा दिया। इससे बड़ा हादसा टल गया, लेकिन स्वास्थ्य केंद्र की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न अवश्य लग गया है।
घटना की जानकारी मिलते ही प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधांशु कुमार ने तुरंत ड्यूटी पर मौजूद एएनएम रुचि कुमारी से पूछताछ की। एएनएम ने स्वीकार किया कि संबंधित स्लाइन का लॉट एक्सपायर हो चुका था और इसे हटाकर अलग रखने के लिए रखा गया था, लेकिन अनजाने में वही मरीज को लगा दिया गया। उन्होंने इसे मानवीय भूल बताया, लेकिन ऐसी गलती किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं समझी जा रही।
डॉ. सुधांशु कुमार ने कहा कि पूरे मामले की विस्तार से जांच की जा रही है। दोषी पाए जाने वाले स्वास्थ्य कर्मी पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मरीज की स्थिति पूरी तरह सामान्य है और उसके स्वास्थ्य को किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है। फिर भी, ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए सभी कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं।
इस घटना ने गोपालपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर अविश्वास का माहौल भी पैदा कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य व्यवस्था पहले ही कई चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे में एक्सपायरी दवा या स्लाइन चढ़ाने जैसी लापरवाही किसी बड़ी दुर्घटना को जन्म दे सकती है। लोगों ने स्वास्थ्य विभाग से ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाने की मांग की है।
जांच समिति के गठन की संभावना भी जताई जा रही है, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही के लिए जिम्मेदारी तय की जा सके। फिलहाल, स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है और पूरे मामले पर नजर रखे हुए है।
यह मामला एक बार फिर याद दिलाता है कि स्वास्थ्य सेवाओं में जरा-सी असावधानी भी मरीजों के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। इसलिए अस्पताल प्रबंधन और कर्मियों को दवा एवं स्लाइन की गुणवत्ता जांचने में कोई ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए।
