बिहार के भागलपुर प्रक्षेत्र अंतर्गत निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा एक गंभीर अनियमितता का खुलासा हुआ है। बिहपुर प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में कार्यरत तीन नियोजित शिक्षकों के विरुद्ध फर्जी अंकपत्र के आधार पर नियुक्ति प्राप्त करने के मामले में केस दर्ज किया गया है। इस संबंध में पुलिस निरीक्षक ईश्वर चौधरी ने बिहपुर थाना में तीन नामजद शिक्षकों समेत अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बिहपुर प्रखंड अंतर्गत गौरीपुर गांव निवासी, जो प्रावि बिक्रमपुर में पदस्थापित है; नरकटिया निवासी, जो मवि लत्तीपुर में कार्यरत है; एवं मवि नरकटिया में पदस्थापित एक अन्य शिक्षक को इस प्रकरण में आरोपी बनाया गया है। इन शिक्षकों के विरुद्ध यह आरोप है कि इन्होंने फर्जी बीटेट (BTET) अंकपत्रों का सहारा लेकर अपनी नियुक्ति करवाई। बिहपुर थानाध्यक्ष राहुल कुमार ठाकुर ने पुष्टि की कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और मामले की गहन जांच की जा रही है।
इस पूरे प्रकरण की शुरुआत उस समय हुई जब पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई, जिसमें नियोजन प्रक्रिया में व्यापक अनियमितताओं की शिकायत की गई थी। हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के आलोक में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो मुख्यालय, पटना ने जांच प्रारंभ की। जांच के दौरान इन शिक्षकों द्वारा नियुक्ति के समय प्रस्तुत किए गए BTET अंकपत्रों की सत्यता की पुष्टि हेतु बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, पटना से सत्यापन कराया गया।
सत्यापन रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि संबंधित अंकपत्र पूरी तरह से फर्जी हैं। इन शिक्षकों ने न केवल फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति प्राप्त की, बल्कि इस कार्य में अन्य अज्ञात व्यक्तियों की संलिप्तता और मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है। इन फर्जी दस्तावेजों को असली के रूप में प्रस्तुत कर न केवल सरकारी नौकरी प्राप्त की गई, बल्कि राज्य सरकार एवं शिक्षा विभाग को भारी वित्तीय नुकसान भी पहुंचाया गया।
पुलिस के अनुसार, यह पूरा मामला धोखाधड़ी, कूटरचना, और आपराधिक षड्यंत्र के तहत संगठित रूप से अंजाम दिया गया प्रतीत होता है। ऐसे मामलों में केवल आरोपित शिक्षक ही नहीं, बल्कि उस संपूर्ण नेटवर्क की पहचान और गिरफ्तारी भी आवश्यक है, जिसने इस प्रकार के फर्जी प्रमाणपत्र तैयार किए और उपयोग करवाए।
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो का यह कदम बिहार के शिक्षा तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के विरुद्ध एक सशक्त कार्रवाई मानी जा रही है। इस प्रकार के मामलों के उजागर होने से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि राज्य सरकार और न्यायालय शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और योग्यता आधारित नियुक्तियों के लिए प्रतिबद्ध है।
फिलहाल पुलिस द्वारा मामले की जांच तेज कर दी गई है। इसमें संबंधित स्कूल प्रशासन, नियोजन समिति, और प्रमाणपत्र सत्यापन से जुड़े अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। इस कार्रवाई से अन्य फर्जी शिक्षकों में भी डर का माहौल उत्पन्न हुआ है और यह आशा की जा रही है कि इस तरह की सख्त कार्रवाइयों से भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताओं पर अंकुश लगेगा।