भागलपुर रेल एरिया में एक रेल परियोजना पहले से फंड के अभाव में आधे में ही अटक गई है। अब दूसरी परियोजना भी इस कतार में शामिल हो गई है। सुल्तानगंज-देवघर रेल परियोजना में देवघर से बांका तक लाइन निर्माण कराकर ही छोड़ दिया गया। यह कहते हुए बांका से सुल्तानगंज के बीच रेल लाइन नहीं बनायी गई कि फंड का अभाव है।
लगभग यही हाल जसीडीह-पीरपैंती रेल परियोजना का भी हो गया है। यह परियोजना झारखंड सरकार के 50 प्रतिशत अंशदान पर स्वीकृत हुई थी। बकौल रेल अधिकारी झारखंड सरकार ने अब इस परियोजना में राशि देने से इंकार कर दिया है। इसलिए इस परियोजना में भी गोड्डा से पीरपैंती के बीच लाइन निर्माण का काम अटक गया है।
जसीडीह -पीरपैंती परियोजना के सेक्शन
मोहनपुर से हसडीहा 37 किमी, काम चल रहा है
हसडीहा से पोड़ैयाहाट 15 किमी, काम पूरा
पोड़ैयाहाट से गोड्डा 15 किमी, काम पूरा
गोड्डा से पीरपैंती 60 किमी, काम शुरू नहीं
कोल ब्लॉक निकलने से आई अड़चन
गोड्डा से पीरपैंती तक 60 किमी की दूरी है। रेलवे ने रैयतों को जमीन का मुआवजा देने के लिए राज्य सरकार को राशि देने की भी बात हो गई थी। इसी बीच में नई अड़चन आ गई। गोड्डा से पीरपैंती के बीच जो अलाइमेंट बना था उस बीच में कोल ब्लॉक निकल गया। लिहाजा ईसीसीएल ने अलाइमेंट में बदलाव करने को कहा। रेलवे ने अलाइमेंट में बदलाव कर परियोजना में 50 प्रतिशत राशि दे रही झारखंड सरकार को सूचित किया तो वहां से जवाब आया कि अब इस परियोजना में झारखंड सरकार राशि नहीं देगी।
कम समय में काम का रिकार्ड बना था इस सेक्शन पर
भागलपुर रेलवे निर्माण विभाग के एक वरीय अधिकारी की मानें तो इस परियोजना पर तेजी से काम हुआ। निर्धारित अवधि तक में गोड्डा तक ट्रेन चलायी गई है। इस परियोजना पर नवंबर 2017 से काम शुरू हुआ है। लगभग तीन साल में एक सेक्शन का काम पूरा कर लाइन कमिशन हो गया। इसके पहले भागलपुर-देवघर, भागलपुर- दुमका, भागलपुर- बड़हड़वा दोहरीकरण सहित और जो परियोजना आयी उसपर विलंब हुआ।
एक ही सेक्शन पर काम
सुल्तानगंज-देवघर रेल परियोजना में दो सेक्शन बनाया गया था। एक सेक्शन देवघर से बांका और दूसरा बांका से सुल्तानगंज। देवघर से बांका सेक्शन में काम हो गया है और ट्रेन भी चल रही है, लेकिन अजगैबीधाम को बाबा बैद्यनाथधाम से जोड़ने को बनायी यह महत्वपूर्ण रेल परियोजना आधे रास्ते में ही अटक गई।
बाद में घोषित, काम पहले
दरअसल पीरपैंती-जसीडीह रेल परियोजना में झारखंड सरकार ने क्षेत्र में रेल सेवा विकसित करने के लिए लागत का 50 प्रतिशत स्वयं वहन करने की बात कही थी। परियोजना में शेष 50 प्रतिशत राशि ही रेलवे को खर्च करना था। यही कारण है रेलवे ने इस परियोजना को प्राथिमकता में लिया और काम कराया।