अपनी ही सरकार के फैसलों की मुखर आलोचना करने को लेकर चर्चा में रहने वाले भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अब एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया कैंसल करवाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ मंगलवार को स्वामी की याचिका पर सुनवाई कर सकती है।

राज्यसभा सदस्य स्वामी ने मौजूदा एयर इंडिया विनिवेश प्रक्रिया के संबंध में अधिकारियों द्वारा किसी भी अग्रिम कार्रवाई या निर्णय या अनुमोदन अथवा अनुमति को रद्द करने का अनुरोध किया है। सुब्रमण्यम स्वामी ने अधिवक्ता सत्य सबरवाल के जरिए दायर याचिका में अधिकारियों की भूमिका और कार्यशैली की सीबीआई जांच कराने और इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करने का भी अनुरोध किया है।

गौरतलब है कि पिछले साल 25 अक्टूबर को सरकार ने टाटा संस की एक कंपनी की तरफ से लगाई गई बोली को स्वीकार कर एयर इंडिया के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी। एयर इंडिया के साथ उसकी सस्ती विमान सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस की भी शत-प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री की जाएगी। साथ ही उसकी ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एआईएसएटीएस की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा समूह को दी जाएगी।

सरकार ने 18,000 करोड़ रुपये में एयर इंडिया की बिक्री के लिए टाटा संस के साथ खरीद समझौता किया था। टाटा सौदे के एवज में सरकार को 2,700 करोड़ रुपये नकद देगी और एयरलाइन पर बकाया 15,300 करोड़ रुपये के कर्ज की देनदारी लेगी। उस समय सरकार की तरफ से कहा गया था कि इस अधिग्रहण से जुड़ीं औपचारिकताओं को दिसंबर के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। अब अधिग्रहण के जनवरी तक ही पूरा हो पाने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन मामला हाई कोर्ट में पहुंच गया है। ऐसे में मामला लंबा भी खिंच सकता है।

जब दो साल पहले सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश का ऐलान किया था तब से ही सुब्रमण्यम स्वामी इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने सरकार के ऐलान के साथ ही ट्वीट किया था, “यह डील पूरी तरह से देश हित में नहीं है। ऐसा करके मुझे कोर्ट जाने पर मजबूर किया जा रहा है। हम अपने परिवार के सदस्य को इस तरह से बेच नहीं सकते।”

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