भागलपुर में आज मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आयोजन किया गया। यह प्रदर्शन देश की प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों — ऐक्टू, एटक, सीटू, सेवा और इंटक — के संयुक्त आह्वान पर उत्तर प्रदेश श्रम संसाधन विभाग परिसर स्थित उपश्रमायुक्त कार्यालय के समक्ष किया गया। देशभर में हो रहे इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन का उद्देश्य न्यूनतम वेतन की गारंटी, ठेका प्रथा का उन्मूलन, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा और श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों के खिलाफ आवाज उठाना था।
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में मजदूर संगठन, उनके पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए। उन्होंने सरकार की नीतियों के खिलाफ कड़ा आक्रोश जताया। उनका कहना था कि महंगाई, सरकारी उपक्रमों का निजीकरण और श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी बदलावों ने मजदूर वर्ग को संकट में डाल दिया है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार कॉर्पोरेट घरानों के इशारे पर काम कर रही है और मजदूरों की परेशानियों की अनदेखी कर रही है।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे ऐक्टू के राज्य सह जिला सचिव मुकेश मुक्त ने अपने भाषण में सरकार को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “अगर सरकार ने श्रमिक विरोधी नीतियों को तुरंत वापस नहीं लिया, तो यह आंदोलन देशभर में और अधिक तेज होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि असंगठित क्षेत्र के लाखों मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और उन्हें सामाजिक सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है।
यूनियनों ने यह भी मांग की कि हर मजदूर को न्यूनतम वेतन की गारंटी दी जाए और ठेका प्रथा को समाप्त कर स्थायी रोजगार सुनिश्चित किया जाए। उनका कहना था कि अस्थायी और ठेका व्यवस्था मजदूरों का शोषण करती है और उन्हें किसी भी प्रकार की स्थिरता नहीं देती। इसके साथ ही, श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।
प्रदर्शन के अंत में मजदूर संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने उपश्रमायुक्त को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें मजदूरों के अधिकारों की रक्षा और ठोस नीतिगत बदलाव की मांग की गई। ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया कि श्रमिकों को उनके अधिकारों से वंचित करना संविधान और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
इस मौके पर एटक के जिला अध्यक्ष ने कहा, “अब मजदूर वर्ग चुप नहीं बैठेगा। देशभर के श्रमिक आज एकजुट हैं और जब तक अधिकार नहीं मिलते, तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।” वहीं, सीटू के प्रतिनिधि ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन के जरिए सरकार को यह संदेश दिया गया है कि मांगें न केवल जायज़ हैं बल्कि उन्हें अब और अनदेखा नहीं किया जा सकता।
सेवा और इंटक के पदाधिकारियों ने भी कहा कि सभी यूनियनें मिलकर यह सुनिश्चित करेंगी कि मजदूरों को उनका हक मिले। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केवल संगठित संघर्ष और एकता के माध्यम से ही मजदूर वर्ग अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है।
प्रदर्शन पूरी तरह से अनुशासित और शांतिपूर्ण रहा। किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली। यह प्रदर्शन एक संदेश भी था कि अगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन एक बड़े जनांदोलन में परिवर्तित हो सकता है।
अंत में सभी ट्रेड यूनियनों ने एक सुर में घोषणा की कि मजदूरों के हक की लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक यह आंदोलन लगातार जारी रहेगा। उन्होंने देश के सभी मजदूर संगठनों और कामगारों से अपील की कि वे इस संघर्ष में शामिल होकर अपनी एकजुटता दिखाएं और श्रमिक अधिकारों की इस लड़ाई को मजबूती दें।
