जरा सोचिए, कोई आपसे कहे कि अपनी सांस रोककर दिखाओ तो आप कितनी देर ऐसा कर सकते हैं. ज्यादा से ज्यादा 3 मिनट तक. लेकिन दुनिया में एक समुदाय ऐसा भी है, जो 13 मिनट तक अपनी सांस आसानी से रोक लेता है. इस समुदाय के लोगों ने समंदर की लहरों पर ही अपना गांव बसा रखा है. मछलियां पकड़ने के लिए वे बिना ऑक्सीज सिलेंडर के ही समुद्र में 200 फीट गहराई तक चले जाते हैं और फिर भाले की मदद से मछलियों का शिकार कर वापस ऊपर आ जाते हैं. 

दुनिया के लिए अजूबे माने जा रहे ये लोग बाजाऊ समुदाय के हैं. यह समुदाय फिलीपींस के आसपास के समुद्री इलाकों रहता है. कहा जाता है कि कई सौ साल पहले फिलीपींस के लोगों ने उन्हें अपनी धरती से निकाल दिया था. इसके बाद उन्होंने समंदर को ही अपना घर बना लिया और नाव बनाकर उसी में रहने लगे. इन लोगों को इंटरनेट, मोबाइल, जहाज, सड़कों जैसी आधुनिक दुनिया से कोई मतलब नहीं है. इनका पूरा जीवन भोजन यानी सी-फूड्स ढूंढते हुए ही बीतता है और ये बहुत कम ही जमीन पर आते हैं. 

मछली पकड़ने के लिए ये बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के ही करीब 200 फीट गहरे समंदर की तलहटी तक पहुंच जाते हैं और फिर वहां छिपी मछलियों और दूसरे समुद्री जीवों को अपने भाले से मारकर ऊपर ले आते हैं. इस दौरान वे करीब 5 से 13 मिनट तक अपनी सांस आसानी से रोक लेते हैं. इस समुदाय के पास किसी भी देश की नागरिकता नहीं होती. वे नावों पर रहकर समंदर के अंदर ही इधर-उधर विचरण करते रहते हैं. उनके बच्चों का पढ़ने लिखने से कोई मतलब नहीं होता. वे बच्चे के जन्म के बाद थोड़ा सा बड़ा होते ही उसे तैराकी और मछली पकड़ने के गुण सिखाने लगते हैं. मछली पकड़ने के आधुनिक जहाज पानी में घूमने की वजह से उनके लिए भोजन की कमी हो रही है.

इस समुदाय के लोग इतनी देर तक बिना ऑक्सीजन के पानी में कैसे रह लेते हैं. इस बारे में वैज्ञानिकों ने शोध किया तो हैरान करने वाली जानकारी सामने आई. पता चला कि जमीन पर रहने वाले सामान्य लोगों की तुलना में बाजाऊ समुदाय के लोगों का इम्यून सिस्टम 50 फीसदी ज्यादा था. उनके रेड ब्लड सेल्स को रिसाइकल करने वाले प्लीहा का साइज सामान्य लोगों की तुलना में 50 फीसदी ज्यादा पाया गया. इसके चलते वे एक बार ऑक्सीजन खींचने के बाद देर तक उसे शरीर में रखकर यूज कर पाते हैं. यही वजह है कि समंदर में गोता लगाने पर आम लोगों के फेफड़ों की नसों में ज्यादा खून भरने से अटैक का खतरा हो जाता है लेकिन इन लोगों को कुछ नही होता.

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