बिहार के गोपालगंज के हथुआ प्रखंड के नया बाजार गांव निवासी पुष्पेंद्र कुमार आज सफल उद्यमी के रूप में जाने जाते हैं। पुष्पेंद्र ने ना सिर्फ अपनी कड़ी मेहनत-लगन की बदौलत खुद की नोटबुक फैक्ट्री लगाई है बल्कि 10 से 12 लोगों को रोजगार मुहैया कराते हैं।

आज पुष्पेंद्र की फैक्ट्री में तैयार नोटबुक ‘वैशाली’ ब्रांड नेम से बिहार समेत यूपी के विभिन्न जिलों में सप्लाई होती है। इससे सालाना करीब दस लाख की आमदनी पाकर पुष्पेंद्र अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं।

नोटबुक साइकिल पर बांधकर बेचने से की शुरुआत

पुष्पेंद्र बताते हैं कि पहले उनके परिवार की स्थिति ठीक नहीं थी। पिता ट्रांसपोर्ट में टिकट काटते थे। मानदेय भी अच्छी नहीं थी। इसी बीच वे अस्वस्थ हो गए। दो बहन तीन भाई और मां-बाप की पूरी जिम्मेदारी पुष्पेंद्र के कंधों पर आ गई। पुष्पेंद्र की इच्छा थी कि वे आईएसएस बन समाज की सेवा करें। लेकिन परिवारिक स्थिति की वजह से आगे की पढ़ाई करने में सक्षम नहीं हुए।

करीब 10 साल पहले उन्होंने साइकिल पर कुछ नोटबुक बांधकर दुकानों में सप्लाई करना शुरू कर दिया, जिससे धीरे-धीरे कुछ आमदनी आना शुरू हो गया। इस बीच उनके एक मित्र ने उन्हें खुद की फैक्ट्री लगाने की सलाह दी।

चल पड़ा पुष्पेंद्र का व्यवसाय

लेकिन इतनी राशि कहां से आएगी, इसको लेकर चिंतित रहने लगे। फिर उन्होंने किसी से 2 लाख का कर्ज लेकर व्यवसाय शुरू किया। पहले छोटा मशीन लगाया। फिर देखते ही देखते पुष्पेंद्र का व्यवसाय रन कर गया। इसमें पिता और परिवार का का भी पूरा सहयोग मिला।

पुष्पेंद्र ने अपनी कमाई से भाई व दो बहनों के अलावे खुद की शादी धूमधाम से की। भाई को पढ़ा-लिखाकर आवास सहायक की नौकरी दिलाई। खुद का घर बनाया और आज चैन से जिंदगी जी रहे हैं।

नोटबुक बनाने की फैक्ट्री कैसे लगा सकते हैं ?

पुष्पेंद्र बताते हैं कि शुरुआती दौर में अगर कोई कॉपी का व्यवसाय करना चाहे तो उसे फ्रेंचाइजी लेनी होगी। फैक्ट्री सेटअप के लिए मशीन खरीदना होगा, जिसकी कीमत ढाई से लेकर 35 लाख तक है। इसके बाद कॉपी बनाने की ट्रेनिंग लेकर कच्चा माल खरीदकर कॉपी तैयार की जा सकती है।

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