पटना। उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने किसानों को मिट्टी की उर्वरता के आधार पर संतुलित मात्रा में उर्वरकों के उपयोग के लिए प्रेरित करने पर बल दिया है। शनिवार को वे मीठापुर स्थित रसायन भवन में संचालित मिट्टी, बीज, उर्वरक एवं कीटनाशी जांच प्रयोगशालाओं का निरीक्षण करने पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी जिला मुख्यालयों एवं प्रखंड स्तर पर मिट्टी की उर्वरता मैप प्रदर्शित किए जाएं ताकि किसान वैज्ञानिक आधार पर कृषि कर सकें।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि खेती में उर्वरकों का उपयोग अंधाधुंध न हो, बल्कि मिट्टी की जांच रिपोर्ट के अनुसार संतुलित मात्रा में हो। इससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा कि जिन प्रखंडों की मिट्टी में जिंक और बोरोन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है, वहां के किसानों को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे समय रहते आवश्यक उर्वरक का प्रयोग कर सकें।

उन्होंने जानकारी दी कि अनुमंडल स्तर पर किसानों को आसानी से मिट्टी जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य में 11 अनुमंडल स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है। इससे मिट्टी जांच सेवाओं का विकेंद्रीकरण संभव हुआ है और किसान स्थानीय स्तर पर ही अपनी मिट्टी की गुणवत्ता की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

निरीक्षण के दौरान कृषि सचिव संजय कुमार अग्रवाल भी उपमुख्यमंत्री के साथ मौजूद थे। उन्होंने प्रयोगशालाओं की कार्यप्रणाली की जानकारी दी और यह सुनिश्चित करने की बात कही कि किसानों को समय पर जांच रिपोर्ट मिल सके।

उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा कि कृषि योग्य भूमि को दीर्घकाल तक उपजाऊ बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि किसान वैज्ञानिक पद्धति से खेती करें। सरकार की ओर से चलाए जा रहे मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत अधिक से अधिक किसानों को जोड़ने की जरूरत है।

इस अवसर पर उन्होंने प्रयोगशालाओं में उपकरणों की कार्यक्षमता, जांच प्रक्रिया की पारदर्शिता तथा कर्मचारियों की तत्परता की भी सराहना की। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि जांच की प्रक्रिया को और अधिक सरल, सुलभ एवं डिजिटल बनाया जाए ताकि किसान बिना किसी झंझट के अपनी मिट्टी की रिपोर्ट ऑनलाइन भी प्राप्त कर सकें।

इस पहल से न केवल बिहार में कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकार का उद्देश्य है कि हर किसान वैज्ञानिक और आधुनिक कृषि पद्धति से जुड़कर आत्मनिर्भर बने।

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