हिंदू संस्कृति में विभिन्न महत्वपूर्ण दिनों में, नाग पंचमी का दिन एक विशेष महत्व रखता है. इस दिन नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोषों से मुक्ति मिलती है
नागपंचमी हिंदू संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक में गिनी जाती है, नागपंचमी सावन महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन होती है. ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. इस साल नागपंचमी 2 अगस्त 2022 यानी मंगलवार को पड़ रही है. आइए जानते हैं नाग देवता की पूजा करने की सही विधि.
नागपंचमी पर क्यों होती है नाग की पूजा?
नागपंचमी नाग देवता की पूजा करके मनाई जाती है. ऐसा करना शुभ होता है क्योंकि इससे कुंडली में कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही इस दिन जरूरतमंदों को दान देना भी लाभकारी माना जाता है.
नागपंचमी पूजा विधि
- पूजा कक्ष को गंगाजल या जल से साफ करें.
- इसके बाद, एक लकड़ी की चौकी पर एक साफ कपड़ा बिछाएं .
- फिर, नाग देवता की मूर्ति को स्थापित करें .
- इसके बाद तेल या घी का एक दीपक जलाएं और इसे नाग देवता के पास रखें.
- इसके बाद पूजा का संकल्प लें.
- इसके बाद नाग द्वत की तस्वीर या मूर्ति पर जल और दूध छिड़कें और हल्दी चंदन, कुमकुम, अक्षत और फूल, धूप और नैवेद्य अर्पित करें.
इसके बाद आंखें बंद करके भगवान का ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद मांगें. इसके बाद, पूजा करते समय क्षमा प्रार्थना करें.
नागपंचमी पूजा के लाभ
कई पौराणिक लेखों में भी नाग पंचमी का उल्लेख मिलता है. किंवदंती के अनुसार, जो कोई भी इस दिन नागदेव की पूजा करता है, वह राहु और केतु के पाप ग्रहों द्वारा लाए गए सभी प्रकार के दुर्भाग्य से बच जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, काल सर्प दोष से पीड़ित कोई भी व्यक्ति इसके बुरे परिणामों से भी छुटकारा पा सकता है. नागपंचमी के दिन कालसर्प योग अनुष्ठान करने सकते हैं जिससे सांप के भय से छुटकारा मिलता है.