मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन की स्मृतियां पटना से भी जुड़ी हैं। करीब एक दशक पहले वे पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में एक कार्यक्रम में प्रस्तुति देने पहुंचे थे। उनके आने के एक घंटे पहले ही पूरा हॉल भर गया था। क्या शानदार शाम गुजरी थी।

बिहार के चर्चित तबला वादक अर्जुन चौधरी कहते हैं कि वे तबले के हर अंग से खेलते थे। वे शास्त्रत्त्ीय संगीत के जानकारों को तो चकित करते थे, आम लोगों को समझ में आए ऐसी उनकी ताल थी। हिरण की आवाज, कन्हैया के कन्दुक क्रीड़ा को अपने वादन से ऐसा प्रस्तुत करते कि जैसे गेंद की आवाज सुन रहे हों। एसके मेमोरियल हॉल में प्रस्तुति से पहले उन्होंने मीडियाकर्मियों से अनुरोध किया था कि उनकी साधना के दौरान उनकी तंद्रा भंग होती है।

इसलिए वे तस्वीर ले लें। वे कहते थे कि मैं घर से मां सरस्वती की साधना कर निकलता हूं। मेरी प्रस्तुति के दौरान वे सामने होती हैं। अर्जुन चौधरी बताते हैं कि एसके मेमोरियल हॉल में प्रस्तुति से पहले उन्होंने कार्यक्रम का बैनर हटवा दिया था। उन्होंने आयोजकों से कहा था कि पहले बैनर हटा दें फिर वे प्रस्तुति की शुरुआत करेंगे। बकौल अर्जुन चौधरी बचपन से वे गोदई महाराज और जाकिर हुसैन को गुरु द्रोण की तरह मानते रहे। इन दो महान लोगों से प्रेरणा लेकर बिहार सहित देशभर में न जाने कितने कलाकारों ने तबला बजाना सीखा। वे सभी कला के कद्रदानों को ताउम्र याद आएंगे।

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