श्रावणी मेला का समापन हो गया है लेकिन सावन माह में आने वाले कांवरियों की तरह भाद्र मास में भी कांवरियों के आने का सिलसिला जारी है। पूरा शहर एवं कांवरिया पथ केशरिया वस्त्र धारी ही दीख रहे हैं। जानकार कहते हैं भाद्र मास में किसान धान की रोपनी समाप्त कर देवघर जाते है । भाद्र मास में देवघर जाने वाले कांवरियों को प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। सावनी मेला समाप्त होते ही प्रशासनिक व्यवस्था समेट लिए जाने से भाद्र मास में आ रहे कांवरियों को गंगा स्नान में काफी कष्ट हो रहा है। शनिवार को लगभग 30- 35 हजार कांवरियों ने जल उठाया।

नई सीढ़ी घाट और अजगैवीनाथ मंदिर की सीढ़ियों पर गंगा पहुंच जाने के बाद ऐसा लग रहा था कि कांवरियों को स्नान करने में सुविधा होगी, लेकिन गंगा के पुनः वापस चले जाने से कांवरियों को नई सीढ़ी घाट स्थित कच्ची घाट पर स्नान करने में काफी असुविधा हो रही है। साथ ही महिला कांवरियों को यूरिनल और वस्त्र बदलने में समस्या हो रही है। यात्री शेड में दुकान खुल जाने से यात्रियों को आराम करने की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। डाक बम बिना प्रमाण पत्र लिए बाबा के सहारे प्रस्थान कर रहे हैं। गंगा घाट पर मिले सुपौल के कांवरिया राम सागर यादव कहते हैं कि प्रशासन को कम से कम स्वास्थ्य सुविधा की व्यवस्था बहाल रहने देना चाहिए। पैर में ठोकर लगने से मैं जख्मी हो गया। स्वास्थ शिविर खोजता रहा लेकिन नहीं मिला। बताया गया कि स्वास्थ्य शिविर हटा लिया गया है। इधर थानाध्यक्ष लाल बहादुर ने बताया कि भाद्र मास में कांवरियों की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था जगह जगह रहेगी।

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