भारती शिक्षा समिति एवं शिशु शिक्षा प्रबंध समिति, बिहार की ओर से आनंदराम ढांढनियां सरस्वती विद्या मंदिर में चल रहे त्रि -दिवसीय आचार्य कार्यशाला के दूसरे दिन भाषा ,विज्ञान एवं गणित विषय पर आधारित आदर्श शिक्षण की कक्षाएं ली गई । शैक्षणिक क्रियाकलापों की उत्कृष्टता पर विचार करते हुए शिक्षकों के द्वारा शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण किया गया। इस अवसर पर आचार्य को संबोधित करते हुए विभाग प्रचारक विजेंद्र कुमार ने कहा कि दिनचर्या से ही संस्कारों का निर्माण होता है।

छात्रों में संस्कार निर्माण के लिए विद्यालय एवं परिवार दोनों की समान भूमिका होती है । बच्चों को महापुरुषों के जीवनी एवं उनके कार्यों से अवगत कराने की भी जरूरत है। प्रधानाचार्य अनंत कुमार सिन्हा ने कहा कि शैक्षिक क्रियाकलापों के साथ-साथ सह -शैक्षिक क्रियाकलापों का भी महत्व है।

सह-शैक्षिक क्रियाकलापों के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि शिशु सभा, बाल संसद एवं सदन व्यवस्था भैया -बहनों के व्यक्तित्व विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है । शैक्षणिक उत्कृष्टता के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यशाला में वर्तमान सत्र की समीक्षा करते हुए आगामी सत्र के क्रियान्वयन की योजनाएं बनाई जा रही है।

वरिष्ठ आचार्य अभिनंदन सिंह ने बाल विकास ,आचार्य विकास, समिति विकास एवं अभिभावक विकास की दृष्टि से चर्चात्मक सत्र का संपादन किया । कार्यशाला का समापन 1 अप्रैल को होगा।

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