सावन सूखा और अब भादो भी रूठा। इस बार मानसून ने लोगों को दगा दिया। सामान्य से काफी कम बारिश हुई है। पूर्णिया में डेढ़ माह के दौरान महज ढाई सौ मिलीमीटर बारिश दर्ज की गयी है। जुलाई माह में 195 मिलीमीटर बारिश हुई है जबकि अगस्त माह में अब तक 50 मिलीमीटर बारिश हुई है।

पूर्णिया में जुलाई और अगस्त के माह में औसतन 500 मिलीमीटर से अधिक बारिश होती है। इस बार मानसून शुरू से ही निस्तेज रहा। जून, जुलाई और अब अगस्त लगातार तीसरे माह मानसून की बेरूखी से किसान सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। धान की फसलें सूख रही हैं।

पूर्णिया जिला में 95 हजार हेक्टेयर में धान की फसलें लगाई गई हैं। पटसन का भी बुरा हाल है। गोराई के लिए पोखरों व छोटे जलाशयों में पानी का अभाव है। मानसून के राह भटकने के कारण मिनी दार्जलिंग कहे जाने वाले सीमांचल में इस बार गर्मी भी रौद्र रूप दिखा रही है।

औसतन यहां 30 से 32 डिग्री तक तापमान रहता है। मगर इस बार अदिकांश दिन तापमान 35 डिग्री को पार करता रहा। शुक्रवार को भी शहर का अधिकतम तापमान 34.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सुबह आसमान में बादल छाए। बूंदाबांदी हुई। बादल बरसने के बजाए गरज कर चला गया।

मौसम विभाग के मुताबिक शुक्रवार को एक मिलीमीटर बारिश दर्ज की गयी है। मौसम वैज्ञानिक राकेश कुमार के मुताबिक इस बार मानसूनी बारिश की कमी रही है। डेढ़ माह में करीब ढाई सौ मिलीमीटर बारिश हुई है।

आने वाले कुछ घंटों में बादल छाए रहेंगे। मगर बिजली की चमक और गरज ही होगी। बूंदाबांदी की ही संभावना है। इस बार मानसून में झमाझम बारिश का लोग इंतजार ही करते रहे हैं।

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