सहरसा। नगर निगम क्षेत्र में शहरी विकास योजनाओं के तहत बनने वाली सड़कें इन दिनों विवाद का विषय बन गई हैं। प्रशांत सिनेमा रोड से आजाद चौक तक की लगभग दो करोड़ रुपये की शहरी आधारभूत संरचना योजना के निर्माण में स्थानीय लोगों ने बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की शिकायत की है।

 

स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि निर्माण में नियमों और मानक प्रक्रियाओं की अनदेखी की जा रही है। योजना के तहत सड़क निर्माण के लिए स्टोन डस्ट का उपयोग होना चाहिए था, लेकिन काम में केवल मिट्टी डाली जा रही है। लोगों का कहना है कि यदि इस मिट्टी पर डामरीकरण किया गया, तो सड़क कुछ ही महीनों में उखड़ जाएगी और करोड़ों रुपये बर्बाद हो जाएंगे। इसके अलावा, निर्माण स्थल पर योजना का बोर्ड भी नहीं लगाया गया, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।

 

स्थानीय निवासी बताते हैं कि कार्य में जल्दबाजी है और गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है। कुछ लोगों का कहना है कि “इतने समय से सड़क जर्जर थी, अब मिट्टी डालकर चलने लायक बना दी गई, बाकी का नज़ारा भविष्य बताएगा।” वहीं, कई लोग भयभीत हैं कि निर्माण में घटिया सामग्री के प्रयोग से आने वाले समय में दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ जाएगा।

 

इस मामले में बुडको की जेई सीमा कुमारी से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने केवल इतना कहा कि मामले के संज्ञान में आने के बाद गुणवत्ता जांच के लिए पत्र जारी किया गया है।

 

विशेषज्ञों का कहना है कि नगर निगम की योजनाओं में पारदर्शिता और निगरानी बेहद जरूरी है। यदि गुणवत्ता जांच और निगरानी समय पर नहीं हुई, तो न केवल सरकारी धन की बर्बादी होगी, बल्कि जनता की सुरक्षा और विश्वास भी प्रभावित होगा।

 

जिला प्रशासन ने जांच टीम तो गठित कर दी है, लेकिन एक सप्ताह से अधिक बीत जाने के बाद अब तक किसी योजना की पूरी जांच नहीं हो सकी है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन केवल खानापूर्ति के लिए ही कदम उठा रहा है या गंभीर सुधारात्मक कार्रवाई करने को तैयार है।

 

स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों की मांग है कि दोषियों पर तत्काल कार्रवाई हो और शहरी विकास योजनाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। उनका कहना है कि ऐसे हालात में जनता का विश्वास खोना स्वाभाविक है, क्योंकि विकास के नाम पर भ्रष्टाचार और लापरवाही लगातार सामने आ रही है।

 

इस विवादित सड़क निर्माण का मामला सहरसा में शहरी आधारभूत संरचना परियोजनाओं की निगरानी और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह सड़क सिर्फ एक निर्माण नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और लापरवाही का प्रतीक बन जाएगी।

 

 

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