गांव की सड़कों का निर्माण के चार साल बाद फिर से पीचिंग यानी कालीकरण होगा। सात साल की मेंटेनेंस पॉलिसी के तहत ऐसा किया जाएगा। निर्माण के चार साल बाद एजेंसी सड़कों का फिर कालीकरण करेगी, ताकि उसे अगले तीन साल तक और बेहतर हाल में रखा जा सके। ग्रामीण कार्य विभाग ने इस योजना को लागू कर दिया है। फिलहाल पांच साल की मरम्मत अवधि से बाहर हो चुकी सड़कों को इस नीति में शामिल किया गया है।

विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य की 26 हजार किलोमीटर सड़कें फिलहाल पांच साल की मरम्मत अवधि से बाहर हो चुकी हैं। इसके बाद अगले साल 12 हजार किमी तो इसके अगले वर्ष लगभग नौ हजार किलोमीटर सड़क पांच साल की मरम्मत अवधि से बाहर हो जाएगी। साल-दर-साल ऐसी सड़कों की संख्या बढ़ती चली जाएगी। चूंकि अभी सड़कों का मेंटेनेंस पीरियड मात्र पांच साल का है। जबकि राज्य में अब लागू ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम में सात साल तक सड़कों को मेंटेन करना है। इस योजना के तहत ग्रामीण सड़कों का पुनर्निर्माण, उन्नयन व नवीनीकरण का कार्य होगा। इसी के आलोक में विभाग ने सात साल की रूपरेखा तय की है। विभाग ने तय किया है कि एजेंसियों को आठ-नौ महीने के भीतर सड़कों का निर्माण कार्य पूरा कर लेना है। एजेंसियों को अधिकतम एक साल का समय दिया जाएगा। इस अवधि में हर हाल में सड़कों का निर्माण कार्य पूरा कर लेना होगा। ऐसा नहीं करने वाले संवेदकों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद चार साल तक एजेंसी संबंधित सड़क को मेंटेन करेगी। यानी इस अवधि में सड़कों में छोटे-मोटे गड्ढे तो भरेगी ही, चार साल होने पर सड़क का नए सिरे से कालीकरण करेगी। इसके बाद अगले तीन वर्षों तक उन सड़कों को मेंटेन करना होगा।

निर्माण एजेंसी को अधिक राशि दी जाएगी

एजेंसियों को सात साल में एक बार और कालीकरण करना है। इसलिए एजेंसियों को मरम्मत के लिए अब अधिक राशि दी जाएगी। एजेंसियों को सात साल तक निरीक्षण के दौरान पायी गई त्रुटियों के निराकरण के लिए समय सीमा तय की जाएगी। सभी कार्यों हेतु रिस्पांस टाइम अलग से जारी होगा। इस रिस्पांस टाइम का पालन हर हाल में एजेंसियों को करना होगा। निरीक्षण के दौरान खामियां पाए जाने पर एजेंसियों पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके तहत उनको काली सूची में भी डाला जा सकता है। साथ ही उनको किसी तरह का कोई भुगतान भी नहीं किया जाएगा।

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