भागलपुर में बिहार सरकार की पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद रेणु कुशवाहा ने मीडिया से बातचीत करते हुए राज्य की शराबबंदी नीति और पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लागू की गई शराबबंदी पूरी तरह से असफल रही है और राज्य भर में शराब माफिया बेखौफ होकर सक्रिय हैं।
रेणु कुशवाहा ने भागलपुर जिले के मोजाहिदपुर थाना क्षेत्र की एक गंभीर घटना का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि सिकंदरपुर निवासी राजकुमार रंजन एक आपराधिक मामले में आरोपी है। जब पुलिस उसे गिरफ्तार करने उसके घर पहुंची, तो वहां से शराब की कुछ बोतलें बरामद हुईं। लेकिन राजकुमार रंजन मौके से फरार हो गया। इसके बावजूद पुलिस ने उसकी पत्नी नंदिनी सत्यपति और मात्र चार साल के बेटे हर्ष को गिरफ्तार कर लिया। पहले दोनों को थाने के हाजत में रखा गया और फिर जेल भेज दिया गया।

रेणु कुशवाहा ने इस कार्रवाई को न केवल गैरकानूनी बताया, बल्कि इसे महिला सम्मान के खिलाफ भी ठहराया। उन्होंने कहा कि नंदिनी की गिरफ्तारी के समय कोई महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थी, जो सीधे तौर पर कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है। उन्होंने पुलिस की इस कार्रवाई को शर्मनाक करार देते हुए कहा कि अगर कोई सरकारी अधिकारी कानून तोड़ता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
रेणु कुशवाहा ने यह भी आरोप लगाया कि शराबबंदी की आड़ में बिहार पुलिस आम नागरिकों, विशेषकर महिलाओं, के साथ अन्याय कर रही है। उन्होंने कहा, “अगर शराबबंदी के बावजूद राज्य में शराब मिल रही है तो इसके लिए पुलिस ही जिम्मेदार है। ऐसे पुलिसकर्मियों को जेल भेजना चाहिए।” उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इस पूरे मामले को लेकर वे डीआईजी और डीजीपी से बात करेंगी और ज़रूरत पड़ी तो हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगी।
इसी दौरान जन स्वराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय कुमार सिंह ने भी राज्य सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार के चेंबर से ही शराब की बोतलें निकलती हैं।” इस बयान से बिहार की राजनीतिक हलचल और तेज हो गई है।
रेणु कुशवाहा ने यह भी कहा कि सरकार नारी सम्मान के नाम पर योजनाएं तो बनाती है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि महिलाओं को पुलिसिया उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वे जन आंदोलन छेड़ेंगी और इस अन्याय के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगी।
उन्होंने नंदिनी सत्यपति और उसके छोटे बेटे को तुरंत न्याय देने की मांग करते हुए इसे मानवाधिकार और महिला अधिकार दोनों का मुद्दा बताया।