सामान्य प्रकृति के अपराधों (मृत्युदंड या आजीवन कारावास को छोड़ कर) में पहली दफा आरोपित किये गये या जेल की सजा काट रहे कैदियों को प्रोबेशन (परिवीक्षा) का लाभ मिलेगा। इसके तहत प्रोबेशन पदाधिकारी की अनुशंसा के आधार पर ऐसे आरोपित कैदी बॉन्ड पेपर पर या अच्छे आचरण का हवाला देते हुए रिहा किये जा सकेंगे।
जेल आईजी के निर्देश पर सभी जिलों के डीएम की ओर से ग्राम कचहरी स्तर पर शिविर लगा कर आम लोगों को प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट की जानकारी दी जा रही है। इसका मूल उद्देश्य पहली बार, अनजाने में या भावावेश में सामान्य अपराध करने वाले लोगों को जेल की बजाय समाज में ही रहकर सुधरने का मौका देना और उनको अपराधी बनने से रोकना है।
एक्ट को लागू करने वाला पहला राज्य बिहार:
दरअसल, प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट 1958 को लागू करने वाला बिहार देश का पहला राज्य है। बिहार में लागू इस एक्ट की नियमावली के मुताबिक सात वर्ष से कम की सजा वाले सामान्य प्रकृति के मामलों में सभी आरोपियों को प्रोबेशन का लाभ मिल सकता है। छोटे-मोटे अपराध के मामलों में एफआईआर होने के बाद प्रोबेशन का लाभ उठाने के लिए न्यायालय के समक्ष अपील करनी होती है। एक्ट की धारा तीन के तहत न्यायालय खुद भी लाभ दे सकता है, जबकि धारा चार में प्रोबेशन पदाधिकारी से जांच करा कर उनकी रिपोर्ट पर आरोपियों को चेतावनी के साथ छोड़ा जाता है। हालांकि प्रोबेशन के तहत छूटने वाले कैदियों को लगातार निगरानी में रखा जाता है और शर्तों का उल्लंघन करने पर उनको पुन: जेल भेजा जा सकता है। अधिकारियों के मुताबिक प्रोबेशन के तहत अपील करने से जहां पहली बार अनजाने में कानून तोड़ने वाले लोगों को राहत मिलेगी, वहीं जेल में कैदियों की बढ़ती संख्या पर भी रोक लगेगी।
ग्राम कचहरी में शिविर लगा दी जा रही जानकारी
जेल आईजी प्रणव कुमार के मुताबिक ग्रामीण स्तर पर एक्ट की जानकारी नहीं होने से आम लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। इसको देखते हुए उन्होंने सभी डीएम से अनुरोध किया है कि अपने जिले के ग्राम कचहरी के सभी जनप्रतिनिधि, सरपंच, न्यायमित्र एवं अन्य के साथ जिला प्रोबेशन इकाई के सभी पदाधिकारियों की बैठक कराएं। इस लोगों में एक्ट के प्रावधानों का लाभ लेने को लेकर अभिरुचि जगेगी।
घरेलू हिंसा के मामलों में भी प्रोबेशन का मिलेगा लाभ
एक्ट के सेक्शन 14 के तहत न्यायालय किसी कांड में चार्जशीट दायर होने के बाद या थाना की रिपोर्ट से असंतुष्ट रहने पर भी प्रोबेशन पदाधिकारी से उसकी जांच करा सकता है। एक्ट की धारा 202 के तहत सीधे कोर्ट में दायर घरेलू हिंसा या इसके जैसे अन्य शिकायत के मामलों की जांच भी प्रोबेशन अफसर से कराई जा सकती है।