ग्रामीण कार्य विभाग ने पोर्टल पर डीपीआर (डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट) अपलोड नहीं करने वाले ठेकेदारों पर जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है। डीपीआर अपलोड नहीं होने से सड़कों के निर्माण प्रक्रिया में हुई देरी को देखते हुए विभाग ऐसे ठेकेदारों पर 10 फीसदी जुर्माना लगाएगा। बीते दिनों विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।

अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार 31 मार्च 2024 तक जो ग्रामीण सड़कें पंचवर्षीय अनुरक्षण अवधि से बाहर हो चुकी हैं, उनका ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम के तहत नए सिरे से निर्माण किया जाना है। राज्य में ऐसी सड़कों की लंबाई 31 हजार किलोमीटर से अधिक है। इन सड़कों का निर्माण करने के पहले इसकी डीपीआर बनाई जानी थी। इन एजेंसियों को 29 मार्च तक डीपीआर अपलोड अपलोड नहीं किया। इसे देखते हुए विभाग ने तय किया है कि इन एजेंसियों को दी जाने वाली राशि में से 10 फीसदी काट ली जाए।

एजेंसियों के डीपीआर अपलोड नहीं करने से सड़कों की मंजूरी में हुई देरी

उच्चस्तरीय समीक्षा में पाया गया कि ऑल  सिविल सॉल्यूशंस, सिविल  सॉल्यूशंस  प्राइवेट  लिमिटेड,  हाईटेक  एसोसिएट कंस्ट्रक्टशन  एंड डिजाइन, नमोनारायण कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड, एसएस कंस्ट्रक्शन एंड कंसलटेंसी, शांभवी टेक्नो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड व सुबुद्धि टेक्नोइंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को डीपीआर का काम करना था। इनके द्वारा तैयार प्राक्कलन पर ही प्रशासनिक स्वीकृति दी जानी थी। तकनीकी मंजूरी मिलने पर उस डीपीआर को एमआईएस पोर्टल पर भी अपलोड करना था। लेकिन इन परामर्शी एजेंसियों ने एक भी डीपीआर पोर्टल पर अपलोड नहीं किया। इस कारण सड़कों के निर्माण प्रक्रिया में देरी हुई। विभाग ने इसे अत्यंत खेदजनक माना।

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