जब मरीज बीमार हो जाता है तो अपना इलाज कराने के लिए अस्पतालों में जाता है, लेकिन जब इलाज करने वाला अस्पताल खुद बीमार हो तो कैसे मरीजों का इलाज होगा। कुछ ऐसा ही हाल पुलिस लाइन स्थित अस्पताल का है। पुलिस कर्मचारियों के लिए खोला गया यह अस्पताल सुविधाओं के अभाव में अपने मरणासन्न स्थिति में पहुंच गया है। यहां न हमेशा डॉक्टर उपलब्ध रहते हैं, न ही दवाई की कोई व्यवस्था है। अस्पताल में सुविधाएं नहीं होने से मरीजों ने भी यहां आना बंद कर दिया है।

हालात यह है कि बीते पांच माह में 10 मरीज भी यहां इलाज के लिए नहीं आए। पुलिसकर्मियों को सामान्य बीमारियों के लिए भी सदर अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है। विभाग के कई अधिकारियों ने इसके जीर्णोद्धार की भी बात कही मगर वह सिर्फ बयानों तक ही सीमित रह गया । पूर्वी रेंज के पूर्व डीआईजी विकास वैभव ने भी अपने कार्यकाल के दौरान अस्पताल के कायाकल्प की बात कही थी, पर हालात जस के तस है।

हाल ही में एसएसपी बाबूराम ने भी पुलिस लाइन के निरीक्षण के दौरान अस्पताल में डॉक्टर की व्यवस्था और बेहतर सुविधाओं की बात कही थी। लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। वर्तमान में सदर के एक डॉक्टर सप्ताह में दो दिन अस्पातल में मरीजों की जांच के लिए आते हैं, पर सुविधाएं नहीं होने के कारण कोई मरीज ही नहीं पहुंचता।

सामान्य बीमारियों के लिए भी जाना पड़ता है सदर पुलिस लाइन में मौजूद सिपाहियों ने बताया कि सामान्य बीमारियों के लिए भी हमलोगों को सदर का चक्कर लगाना पड़ता है। सुविधाएं नहीं होने के कारण कोई भी सिपाही पुलिसलाइन अस्पताल में इलाज नहीं करवाते हैं। उन्होंने बताया कि सप्ताह में दो दिन यहां सदर से डॉक्टर आते हैं। लेकिन जब दवा ही नहीं उपलब्ध है तो ऐसा इलाज का क्या मतलब।

अस्पताल में लटका मिला ताला

पुलिस लाइन अस्पताल में ज्यादातर दिन ताला ही बंद रहता था। बाहर से अस्पताल के अंदर झांकने पर यह अस्पताल कम और कबाड़ खाना ज्यादा लगता है। अस्पताल की दीवारें भी जर्जर हो चुकी हैं जिससे प्लास्टर झर कर गिर रहा है। अंदर मौजूद दो कमरों में एक डॉक्टर के बैठने का कमरा है जिसमें एक टेबल और दो प्लास्टिक की कुर्सी रखी हुई है। वही मरीजों के प्राथमिक उपचार करने वाले रूम में अंग्रेजों के समय में लगे पंखे का अवशेष, पुराने जमाने में पानी साफ करने वाला एक फिल्टर और कुछ पुरानी बेंच पड़ी हुईं हैं।

परंतु अस्पताल में उपचार के लिए उपयोग में आने वाला कोई सामान नहीं दिखा। वहां मौजूद एक कर्मचारी ने बताया कि डॉक्टर साहब आते हैं, कुछ देर बैठने के बाद चले जाते हैं। उसने बताया कि कोई मरीज इलाज के लिए आते ही नहीं है तो डॉक्टर साहब यहां बैठकर क्या करेंगे।

दो दिन के लिए की प्रतिनियुक्ति : पुलिस लाइन अस्पताल में तैनात डॉ. कुणाल ने बताया कि सिविल सर्जन की तरफ से उनको सप्ताह में दो दिन की प्रतिनियुक्ति अस्पताल में किया गया है। लेकिन सुविधाओं के अभाव में यहां मरीज न के बराबर आते हैं। उन्होंने बताया कि हमलोग अपने स्तर से पुलिसलाइन में मौजूद पुलिसकर्मियों से यहां इलाज के लिए अपील करते हैं।

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