भारत-पाकिस्तान सीमा पर फिरोजपुर सेक्टर में तैनात सीमा सुरक्षा बल (BSF) का एक जवान, पूर्णम कुमार साव, 23 अप्रैल को गलती से बॉर्डर पार कर पाकिस्तान पहुंच गया। इस घटना के बाद से अब तक पाकिस्तान ने उसे रिहा नहीं किया है। जवान की पत्नी, जो इस वक्त गर्भवती हैं, अपने आठ साल के बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ कोलकाता से पंजाब पहुंच चुकी हैं। वह अपने पति की सलामती के लिए अधिकारियों से मिलकर गुहार लगा रही हैं।
पूर्णम कुमार साव 23 अप्रैल को पंजाब के फिरोजपुर बॉर्डर पर किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात थे। उसी दौरान वह गलती से पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हो गए। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें वहीं हिरासत में ले लिया। BSF ने उसी दिन दो बार पाकिस्तान रेंजर्स से फ्लैग मीटिंग की, लेकिन पाक रेंजर्स ने जवान को रिहा करने से इनकार कर दिया। इसके बाद कई बार भारत की ओर से मीटिंग बुलाने की कोशिश की गई, लेकिन पाकिस्तान की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
जवान की पत्नी रजनी का कहना है कि उन्हें भरोसा नहीं हो रहा कि छह दिन बाद भी उनके पति को रिहा नहीं किया गया। उन्होंने कोलकाता से रवाना होते समय कहा, “बीएसएफ अधिकारी भले ही कह रहे हों कि मेरे पति ठीक हैं, लेकिन जब वह दुश्मन देश की कैद में हैं, तो मुझे चिंता क्यों नहीं होगी?” उन्होंने यह भी आशंका जताई कि इस मामले में उनसे कुछ छिपाया जा रहा है।
चंडीगढ़ एयरपोर्ट पहुंचने के बाद रजनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैं पंजाब आकर सीमा सुरक्षा बल के उच्च अधिकारियों से मिलूंगी और आवश्यकता पड़ी तो दिल्ली तक जाऊंगी। मैं अपने पति की सलामती की जानकारी चाहती हूं।” उनके साथ उनके बेटे आरव, दो बहनें और एक भाई भी थे।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे भावुक पल तब आया जब जवान के आठ साल के बेटे आरव ने कैमरे के सामने कहा, “पाकिस्तान हमारा सब कुछ ले ले, बस मेरे पापा को छोड़ दे।” आरव की यह मासूम लेकिन गहराई से भरी अपील पूरे देश के दिल को छू गई।
बीएसएफ जवान की पत्नी ने मीडिया से कहा, “मेरे पति उस दिन बॉर्डर पर किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने गए थे। वह अपनी ड्यूटी निभा रहे थे, उन्होंने कोई अपराध नहीं किया। यह एक मानवीय गलती थी, और इस पर पाकिस्तान को सहानुभूति दिखानी चाहिए।”
जवान के परिवार के साथ-साथ पूरा देश अब इस मसले पर सरकार से कड़ी कार्रवाई की अपेक्षा कर रहा है। खासकर तब जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमें भारत के कई जवान शहीद हुए। इस हमले के अगले ही दिन बॉर्डर पार करने की यह घटना हुई है, जिससे भारत-पाक संबंधों में तनाव और बढ़ गया है।
बीएसएफ सूत्रों के मुताबिक, जवान की स्थिति ठीक है, और पाकिस्तान की हिरासत में है। परंतु यह जानकारी पाकिस्तान की ओर से किसी भी आधिकारिक बयान या सबूत के साथ नहीं दी गई है। यही वजह है कि जवान का परिवार तनाव में है और किसी भी सूरत में उसे सुरक्षित भारत वापस लाने की मांग कर रहा है।
भारत सरकार और बीएसएफ लगातार राजनयिक स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। भारत की ओर से पाकिस्तान को कड़ा संदेश भी दिया गया है कि मानवीय आधार पर जवान को तुरंत रिहा किया जाए। यह भी उल्लेखनीय है कि सीमा सुरक्षा बल के जवानों को अक्सर बॉर्डर पर तैनाती के दौरान ऐसे खतरों का सामना करना पड़ता है, और गलती से बॉर्डर पार चले जाने की घटनाएं पहले भी हुई हैं, जिन्हें लेकर दोनों देशों के बीच सहानुभूतिपूर्ण रुख अपनाया गया है।
जवान की पत्नी की इस बात से कई लोगों ने सहमति जताई है कि अगर पाकिस्तानी सेना यह दावा कर रही है कि जवान सुरक्षित है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर वह ठीक हैं, तो क्या वजह है कि उन्हें अब तक छोड़ा नहीं गया? छह दिन हो गए, और अब हम और इंतजार नहीं कर सकते।”
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोगों की प्रतिक्रियाएं तीव्र हो गई हैं। कई लोग सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि वह इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाए और जवान को सुरक्षित घर वापस लाए।
इस बीच रजनी ने उम्मीद जताई कि सरकार उनके पति को जल्द ही रिहा करवा लेगी। उन्होंने कहा, “मैं अपने बेटे और अजन्मे बच्चे के लिए अपने पति की सुरक्षित वापसी चाहती हूं। हम सिर्फ शांति और इंसानियत की उम्मीद कर रहे हैं।”
देशभर से आम जनता भी जवान के परिवार के साथ खड़ी दिखाई दे रही है। सोशल मीडिया, न्यूज़ चैनलों और विभिन्न संगठनों की ओर से सरकार पर दबाव डाला जा रहा है कि इस मानवीय संकट का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाए।
**निष्कर्ष:**
बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार साव की पाकिस्तान से रिहाई अब एक मानवीय और कूटनीतिक मुद्दा बन चुका है। जहां एक ओर जवान का परिवार उसकी सलामती के लिए संघर्ष कर रहा है, वहीं भारत सरकार भी पाकिस्तान पर राजनयिक दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। पूरे देश की यही एक आवाज है – “पूर्णम कुमार साव को सुरक्षित भारत वापस लाया जाए।”
