कार्यक्रम की शुरुआत कुलगीत से हुआ, प्रति कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि तिलकामांझी 1857 का विद्रोह करने वाला अंग जनपद का पहला वीर सपूत था, सबसे पहले क्रांतिकारी के रूप में उभरता वीर तिलकामांझी के नाम पर 12 जुलाई 1960 में भागलपुर विश्वविद्यालय का नाम तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय रखा गया, और उनसे कई क्रांतिकारियों ने प्रेरणा लेकर ही उनके नक्शे कदम पर चलने की कसम खाई जिससे हमारा देश आजाद हुआ और हम गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर आजाद भारत वर्ष में रह रहे हैं। तिलकामांझी के जन्म दिवस के अवसर पर हमें वीर शहीदों को जरूर याद करना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास पर भी प्रकाश डाला, प्रति कुलपति के अलावे कई पदाधिकारियों ने भी वीर तिलकामांझी मुर्मू के वीरता पर प्रकाश डाला।
विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन में तिलका मांझी के जन्म दिवस कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव,रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक , सीसीडीसी के अलावे सभी पदाधिकारी एवं विश्वविद्यालयकर्मी मौजूद थे।