बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग 6 नवंबर को होने वाली है। मतदान से ठीक दो दिन पहले प्रदेश की राजनीति अपने चरम पर है। चुनाव प्रचार का आखिरी दिन (4 नवंबर) सत्ता और विपक्ष, दोनों खेमों के दिग्गज नेताओं की ताबड़तोड़ सभाओं और रोड शो का गवाह बना। शाम 5 बजे प्रचार थमते ही 121 सीटों की लड़ाई का असली इम्तिहान शुरू हो जाएगा।

121 सीटों की प्रतिष्ठा दांव पर

पहले चरण में कुल 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा।
कुल 1314 उम्मीदवार मैदान में हैं—

1192 पुरुष
121 महिलाएँ
1 थर्ड जेंडर उम्मीदवार

इन सभी सीटों पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं और चुनाव आयोग ने बूथ-बूथ पर विशेष निगरानी का दावा किया है।

एनडीए का शक्ति प्रदर्शन—मोदी, शाह, नीतीश और योगी मैदान में

चुनाव प्रचार के आखिरी दिन एनडीए ने पूरी ताकत झोंक दी।
सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “मेरा बूथ सबसे मजबूत” महिला संवाद कार्यक्रम किया, जबकि गृहमंत्री अमित शाह, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, एमपी के सीएम मोहन यादव समेत कई दिग्गज नेताओं ने ताबड़तोड़ रैलियाँ कीं।

पीएम मोदी का हमला: “जंगलराज की वापसी नहीं होने देंगे”

प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा—

> “जंगलराज के दौर में बेटियों का घर से निकलना मुश्किल था, लेकिन आज बिहार की बेटियाँ रात में भी सुरक्षित काम कर रही हैं। बिहार की महिलाएँ ठान चुकी हैं कि जंगलराज की वापसी नहीं होने देंगी।”

मोदी ने महिलाओं के मुद्दे, सुरक्षा और विकास को केंद्र में रखकर चुनावी संदेश दिया।

अमित शाह का वार: जीविका दीदियों से 10 हजार वापस ले लेंगी RJD

गृहमंत्री अमित शाह दरभंगा और बेतिया में रैलियाँ करने पहुंचे। उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा—

> “अभी-अभी मोदी जी और नीतीश जी ने 10 हजार रुपये जीविका दीदियों के खातों में भेजे हैं। लालू की पार्टी कहती है कि यह पैसा वापस ले लेगी। मैं कहता हूँ उनकी तीन पीढ़ियाँ भी आ जाएँ, पैसे वापस नहीं ले सकतीं।”

शाह ने जाति, विकास और महिला वोट बैंक को साधने की कोशिश की।

राजनाथ सिंह ने गिनाईं उपलब्धियाँ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राघोपुर में कहा—

> “UPA सरकार ने 10 वर्षों में बिहार को सिर्फ 2 लाख करोड़ दिए थे। हमारी सरकार ने 15 लाख करोड़ रुपए दिए हैं। जहां NDA की सरकार है, वहीं तेज गति से विकास हो रहा है।”

योगी आदित्यनाथ का शक्ति प्रदर्शन

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दरभंगा शहरी विधानसभा में 5 किलोमीटर लंबा रोड शो किया।
उनकी मौजूदगी से भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह दिखा।

लखीसराय में रैली के दौरान योगी ने फिर “जंगलराज” और “कानून व्यवस्था” मुद्दे को उठाया।

असम के CM हिमंत बिस्वा सरमा भी मैदान में

सीवान में रैली करते हुए उन्होंने राहुल गांधी पर हमला बोला—

> “राहुल गांधी जहां भी जाते हैं, कांग्रेस हारती है। बिहार में भाजपा, JDU और LJP के पक्ष में सुनामी की लहर है।”

महागठबंधन का पलटवार—राहुल, तेजस्वी, अखिलेश और सहनी की बड़ी सभाएँ

पहले चरण के प्रचार के आखिरी दिन महागठबंधन भी पीछे नहीं रहा।

राहुल गांधी का नीतीश-मोदी पर निशाना

औरंगाबाद के कुटुंबा में राहुल गांधी ने कहा—

> “नीतीश कुमार की सरकार नहीं चल रही है। उनका रिमोट मोदी-शाह के हाथ में है। भाजपा चुनाव आयोग के साथ मिलकर ‘वोट चोरी’ कर रही है। हमें संविधान बचाना है।”

राहुल ने बेरोजगारी, महंगाई और संविधान को केंद्र में रखा।

तेजस्वी यादव की बैक-टू-बैक रैलियाँ

तेजस्वी ने मधेपुरा, बेगूसराय और समस्तीपुर में जनसभाएँ कीं। उन्होंने आरोप लगाया—

> “बिहार के 30 साल में युवाओं को कितनी नौकरी मिली? नौकरी का रास्ता हमने खोला, लेकिन साजिश का शिकार कर सरकार गिरा दी गई। भाजपा का एजेंडा ही नौकरी देना नहीं है।”

तेजस्वी बेरोजगारी और युवाओं के मुद्दे पर फोकस कर रहे हैं।

अखिलेश यादव ने भी साधा भाजपा पर निशाना

सपा चीफ अखिलेश यादव ने कहा—

> “इंडिया गठबंधन मुद्दों की राजनीति करता है। भाजपा सिर्फ भ्रम फैलाती है। तेजस्वी ने नौकरी देना शुरू किया था, इसलिए उनकी सरकार गिरा दी गई।”

मुकेश सहनी की एंट्री—निषाद वोटरों में पैठ

VIP प्रमुख मुकेश सहनी ने भी कई क्षेत्रों में प्रचार किया।
उन्होंने कहा कि निषाद, मल्लाह और पिछड़े वर्गों को NDA सरकार ने सिर्फ “वोट बैंक” समझा, अधिकार नहीं दिया।

दरभंगा शहरी सीट पर फिर भाजपा का दांव

दरभंगा शहरी विधानसभा सीट इस बार भी चर्चा में है।
संजय सरावगी यहाँ लगातार 5 बार चुनाव जीत चुके हैं।
भाजपा चाहती है कि इस बार सरावगी “छक्का” लगाएँ।

पहले चरण का चुनाव—बड़ी लड़ाई, बड़ा संदेश

6 नवंबर को होने वाला मतदान तय करेगा कि एनडीए की “डबल इंजन सरकार” का दावा जनता के साथ जुड़ता है या महागठबंधन का “परिवर्तन” का नारा भारी पड़ता है।

चुनावी तापमान अपने चरम पर है—
एक तरफ एनडीए विकास, महिलाओं की सुरक्षा और केंद्र की योजनाओं के सहारे मैदान में है,
तो दूसरी तरफ महागठबंधन बेरोजगारी, सामाजिक न्याय और संविधान बचाने के मुद्दे को उठा रहा है।

अब फैसला मतदाताओं के हाथ में है।

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