एक जुलाई यानी ढाई महीना पहले बिहार की स्कूली शिक्षा का क्या नया सबेरा था? इस दिन सुधार की बुनियाद पड़ी। स्कूलों में छात्रों की 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य की गई। इस फैसले का विरोध भी हुआ। तरह-तरह के सवाल उठे।

शिक्षक से लेकर शिक्षा अधिकारियों के गले यह आदेश उतर नहीं पा रहा था। लेकिन गुजरते वक्त के साथ यह स्वीकार्य होता गया और 80 दिनों में 75 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति वाले स्कूलों की संख्या 19 गुना बढ़कर 1.42 प्रतिशत से 27 प्रतिशत तक पहुंच गई। वैसे लक्ष्य अभी कोसों दूर है।

छात्र-छात्राओं की 50 से कम उपस्थिति बर्दाश्त नहीं की जाएगी और पदाधिकारियों पर कार्रवाई होगी। एक जुलाई, 2023 को शिक्षा विभाग ने यह फरमान जारी किया उस समय राज्य के 64 अर्थात 48 हजार स्कूलों में 50 से कम बच्चे आते थे। आज ऐसे स्कूलों की संख्या 64 से घटकर मात्र 2.41 रह गई है।

स्कूलों में निरीक्षण करने गए पदाधिकारियों की रिपोर्ट यह बताती है। पिछले ढाई माह में दो दर्जन से अधिक तरह के आदेश जिलों, स्कूलों और कॉलेजों को जारी हुए।

जिलाधिकारियों को भी कई मामले की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई।

पहला फोकस शिक्षकों की पूरे दिन स्कूलों में उपस्थिति पर दी गई। वहीं, स्कूल-कॉलेज में विद्यार्थियों की हाजिरी को प्राथमिकता दी गई।

एक जुलाई को राज्य में मात्र 1.42 ऐसे स्कूल थे, जहां 75 से अधिक छात्रों की

उपस्थिति रहती थी। अब यह संख्या बढ़कर 27 हो गई है।

इस तरह ऐसे स्कूलों की संख्या में 19 गुना वृद्धि हुई। शैक्षणिक सुधार की दिशा में राज्य के हर डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों की हाजिरी रिपोर्ट शिक्षा विभाग को ई-मेल पर भेजी जा रही है।

वहीं, हर दिन सभी जिलों के पदाधिकारी अपने-अपने जिले के सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के साथ शाम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उस दिन के पठन-पाठन की गतिविधि की जानकारी ले रहे हैं।

विभाग का दावा है कि प्रतिदिन 65 हजार से अधिक प्रधानाध्यापक अपने स्कूल से संबंधित जानकारी वीसी से दे रहे हैं। एक सितंबर से सूबे के सभी स्कूलों में निजी एजेंसी के माध्यम से साफ-सफाई कराई जा रही है।

बच्चों को प्रतिदिन दिये जाएंगे गृह कार्य

सरकारी विद्यालयों में भी निजी स्कूलों की तर्ज पर बच्चों को प्रतिदिन गृह कार्य दिये जा रहे हैं। इसे बच्चे पूरा किये हैं या नहीं, इसकी जांच अगले दिन शिक्षक करते हैं। जांच के बाद उस पर शिक्षक हस्ताक्षर कर रहे हैं और अभिभावकों से भी हस्ताक्षर लेते हैं।

वहीं, छह से 12 कक्षा के बच्चों का साप्ताहिक मूल्यांकन हो रहा है। हर 15 दिनों पर अभिभावक और शिक्षकों की स्कूलों में बैठक को अनिवार्य किया गया है।

माध्यमिक-उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 20-20 कंप्यूटर लगाने की प्रक्रिया शुरू है। इसके लिए कंप्यूटर प्रशिक्षक भी रखे जा रहे हैं।

विश्वविद्यालयों के लिए परीक्षा कैलेंडर जारी

तीन जुलाई को शिक्षा विभाग ने सभी विवि के लिए परीक्षा कैलेंडर जारी किया। इसके तहत सभी लंबित परीक्षाएं जल्द लेकर रिजल्ट जारी करने को कहा गया।

साथ ही आगे की परीक्षाएं समय पर लेकर रिजल्ट जारी करने को कहा गया। इस दिशा में विवि द्वारा कार्रवाई की जा रही है।

यह भी साफ किया गया कि 75 से कम उपस्थिति वाले विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा ।

नौ से चार बजे तक नहीं चलेंगे कोचिंग

विभाग का सख्त आदेश है कि स्कूल अवधि में अर्थात सुबह नौ से शाम चार बजे तक कोचिंग नहीं चलेंगे।

जिलों में कोचिंग संस्थानों के समय में परिवर्तन किये गये हैं। वहीं, स्कूलों में पढ़ाई बाधित नहीं हो, इसको लेकर अतिथि शिक्षकों की सेवा ली जा रही है।

खासकर गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के विषयों के लिए।

डीईओ, डीपीओ और आरडीडीई को जिम्मेदारी दी गई कि वे सभी पांच-पांच स्कूलों को गोद लें।

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