जल संसाधन विभाग ने इस वर्ष किसानों के लिए सिंचाई के पानी की दरों को लेकर महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इस साल के लिए सिंचाई के पानी का कुल अनुमानित खर्च 75 करोड़ रुपये रखा गया है। विभाग ने पनवट और सैरात की नयी दरों का निर्धारण किया है, जिसके अनुसार विभिन्न क्षेत्रों के किसानों को सिंचाई के पानी के लिए निर्धारित राशि चुकानी होगी। इस बदलाव के तहत डेहरी के किसान 31.58 करोड़ रुपये और पटना के किसान 15 करोड़ रुपये चुकाएंगे।

बकाया राशि और वसूली अभियान

सिंचाई शुल्क की वसूली एक अहम मुद्दा बनकर सामने आया है। विभाग ने सूचित किया है कि किसानों पर लगभग 300 करोड़ रुपये का बकाया है, जिसे वसूलने के लिए एक विशेष अभियान चलाने का निर्देश सभी मुख्य अभियंताओं को दिया गया है। इन अभियंताओं को इस दिशा में मासिक लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है, ताकि वसूली में तेजी लाई जा सके और बकाया राशि कम की जा सके।

सिंचाई के लिए लक्ष्य और पानी की उपलब्धता

इस वर्ष जल संसाधन विभाग ने सिंचाई के लिए एक बड़ा लक्ष्य तय किया है। विभाग का लक्ष्य है कि 30 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई के पानी की आपूर्ति की जाए। इसमें से 22.51 लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ की फसलें और 7.28 लाख हेक्टेयर भूमि पर रबी की फसलें उगाई जाएंगी। इस पहल का उद्देश्य किसानों को समय पर पानी उपलब्ध कराना और उनकी फसलों की उत्पादकता बढ़ाना है।

नयी मानक संचालन नियमावली (एसओपी)

राज्य सरकार ने किसानों को सिंचाई के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक नई मानक संचालन नियमावली (एसओपी) तैयार की है। इसके तहत नहरों से पानी की आपूर्ति की व्यवस्था को और भी सुलभ बनाया गया है। इस नियमावली के माध्यम से किसानों को नहरों से पानी की बेहतर आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी, ताकि वे अपनी फसलों को जरूरत के हिसाब से पानी दे सकें।

नहरों से पानी की नयी आपूर्ति व्यवस्था

सिंचाई के लिए पानी की नयी आपूर्ति व्यवस्था को लागू किया गया है, जो किसानों के लिए काफी लाभकारी सिद्ध हो सकती है। इसके तहत, खरीफ, रबी और गरमा फसलों को सिंचाई के लिए पानी देने की नयी अवधि निर्धारित की गई है। पहले गंडक और कोसी परियोजनाओं को छोड़कर बाकी सभी परियोजनाओं से 20 मई से खरीफ फसलों के लिए पानी की आपूर्ति शुरू होती थी, जबकि गंडक-कोसी नहर प्रणाली से यह आपूर्ति 25 अप्रैल से शुरू हो जाती थी। अब, 20 वर्षों के बाद, इस व्यवस्था को समाप्त कर दी गई है और नयी व्यवस्था को लागू किया गया है, जिससे सिंचाई की अवधि को और अधिक व्यावहारिक और उपयोगी बनाया गया है।

निष्कर्ष

जल संसाधन विभाग द्वारा सिंचाई के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और बकाया राशि की वसूली के लिए किए गए कदम किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। नयी व्यवस्था से सिंचाई की अवधि में सुधार होगा, जिससे किसानों को पानी की बेहतर आपूर्ति मिलेगी और उनकी फसलों की उपज में वृद्धि हो सकती है।

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