नेपाल

अररिया से सटे नेपाल की जेल से एक बार फिर आपराधिक नेटवर्क को बड़ा झटका देते हुए कुख्यात अपराधी उदय सेठी फरार हो गया है। नेपाल के रसुवा कारागार में बंद यह अपराधी जेल ब्रेक आंदोलन के क्रम में अन्य बंदियों की आड़ लेकर भागने में सफल रहा। सुरक्षा बलों ने रोकने की कोशिश की, लेकिन बंदियों के प्रतिरोध के कारण सुरक्षाकर्मी नाकाम रहे। उदय सेठी की फरारी से नेपाल में अपहरण उद्योग के फिर से सिर उठाने की आशंका जताई जा रही है।

अपराध की पृष्ठभूमि

भारतीय नागरिक रहे उदय सेठी का नाम नेपाल में संगठित अपराध और अपहरण उद्योग से गहराई से जुड़ा रहा है। 2010 तक उसने नेपाल में अपना आतंक का नेटवर्क खड़ा किया। इस दौरान उसने न केवल उद्योगपतियों बल्कि चिकित्सकों और कारोबारियों तक को निशाना बनाया। रंगदारी न देने पर अपहरण करना उसकी पहचान बन गई थी।

उदय सेठी ने कुख्यात फिरौती वसूली करने वाले अमर टंडन के साथ मिलकर नेपाल में अपराध का एक बड़ा गिरोह खड़ा किया था। टंडन भारतीय नंबर से रंगदारी की मांग करता जबकि उदय सेठी अपहरण की साजिश और घटनाओं को अंजाम देता था।

प्रमुख अपहरण की घटनाएं

उदय सेठी पर नेपाल के कई उद्योगपतियों और प्रभावशाली व्यक्तियों के अपहरण का आरोप है। इनमें प्रमुख रूप से—

  • उद्योगपति ओमकार भट्टचन
  • पशुपति पेंट्स के मालिक महेश मुरारका
  • व्यापारी शिव सरावगी, सुमीत शेरचन, पवन अग्रवाल, अमित्य गुरुंग, उमेश गर्ग, दिलीप अग्रवाल, ईश्वरदत्त पाण्डे, टिकाराम अर्याल

सभी को अपहरण कर लाखों-करोड़ों की फिरौती वसूली गई थी।

गिरोह का नेटवर्क

अनुसंधान के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि अगर कोई व्यापारी रंगदारी देने से मना करता, तो उदय सेठी अपने गिरोह के सदस्यों को सक्रिय कर देता। इस नेटवर्क में प्रह्लाद महत, विष्णु जिसी, बुढाथोकी, विकास कार्की, सोल्टी उर्फ टासी गुरुंग, विनोद कार्की और अनिल गुरुंग जैसे अपराधी शामिल थे।

पूर्व डीआईजी हेमंत मल्ल बताते हैं कि अमर टंडन अधिकतर भारत में ही रहता था, जिस कारण उसकी गिरफ्तारी कठिन थी। जबकि नेपाल में रहकर उदय सेठी अपराध को अंजाम देता और अपने नेटवर्क के जरिए व्यापारियों को आतंकित करता था।

गिरफ्तारी और सजा

श्रृंखलाबद्ध अपहरण की घटनाओं के बाद नेपाल पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की। महानगरीय अपराध महाशाखा ने टंडन को गिरफ्तार किया, वहीं नीरज छत्रपति अपहरण मामले की जांच में उदय सेठी और प्रह्लाद महत भी पकड़े गए। अनुसंधान में सामने आया कि इस गिरोह ने कम से कम 12 अपहरण की घटनाओं को अंजाम दिया था। अदालत ने उदय सेठी को 32 वर्ष की सजा सुनाई थी।

जेल में भी आतंक

पहले उदय सेठी को नख्खु कारागार में रखा गया था। वहां उसने बंदियों के बीच झड़प कर जेल को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की। उसके बाद सुरक्षा कारणों से उसे रसुवा कारागार भेजा गया। लेकिन अब वहीं से जेल ब्रेक के दौरान उसकी फरारी ने एक बार फिर नेपाल की कानून-व्यवस्था और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।

भविष्य की चुनौती

विशेषज्ञों का मानना है कि उदय सेठी की फरारी से नेपाल और भारत में संगठित अपराध के नेटवर्क के पुनर्जीवित होने का खतरा है। जिस तरह उसने पहले अपहरण और रंगदारी का उद्योग खड़ा किया था, उसके दुबारा सक्रिय होने से व्यापारी और उद्योगपति दहशत में आ सकते हैं।

नेपाल पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती उदय सेठी को दोबारा पकड़ना और उसके नेटवर्क को जड़ से खत्म करना है।

यह घटना न केवल नेपाल बल्कि भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा और दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की भी मांग करती है।

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