विश्वविश्व

कर्ण पुरस्कार से सम्मानित होंगे कई साहित्यकार और रंगकर्मी, 13 महिलाएं भी होंगी सम्मानित




**भागलपुर:** 
विश्व मातृभाषा दिवस के अवसर पर 21 फरवरी को भागलपुर के *भगवान पुस्तकालय, नया बाजार* में एक भव्य साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम “*राष्ट्रीय अंग समागम*” का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन प्रसिद्ध नाटककार और साहित्यकार *वीरेंद्र नारायण* के जन्मशती वर्ष को समर्पित है। कार्यक्रम में देश के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार, रंगकर्मी और अंगिका भाषा प्रेमियों की उपस्थिति रहेगी। 

इस विशेष अवसर पर न केवल वीरेंद्र नारायण के साहित्यिक योगदान को रेखांकित किया जाएगा, बल्कि *कर्ण पुरस्कार* के जरिए साहित्य और रंगमंच के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों को सम्मानित भी किया जाएगा। इस वर्ष समारोह में *13 महिलाओं* को भी कर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने अंग क्षेत्र की भाषा, संस्कृति और साहित्य को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। 

**वीरेंद्र नारायण के साहित्यिक योगदान पर होगा व्याख्यान** 
कार्यक्रम की सबसे अहम कड़ी *वीरेंद्र नारायण* के जीवन और साहित्यिक यात्रा पर *विजय नारायण* द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला व्याख्यान होगा। विजय नारायण अपने व्याख्यान के माध्यम से वीरेंद्र नारायण के नाटकों, लेखन शैली और उनकी साहित्यिक सोच पर प्रकाश डालेंगे। वे बताएंगे कि कैसे वीरेंद्र नारायण ने अपने नाटकों और साहित्य के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को उठाया और अंगिका भाषा को लोकप्रिय बनाने का कार्य किया। 

**”बापू के साए में” नाटक का मंचन** 
कार्यक्रम का एक अन्य महत्वपूर्ण आकर्षण *वीरेंद्र नारायण* द्वारा लिखित चर्चित नाटक “*बापू के साए में*” का मंचन होगा। इस नाटक के मंचन के जरिए दर्शकों को गांधी जी के विचारों और उनके सामाजिक सरोकारों की झलक मिलेगी। नाटक में दिखाया जाएगा कि किस तरह महात्मा गांधी के आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं और सामाजिक बदलाव के लिए प्रेरणा देते हैं। 

**चर्चित रंगकर्मी शीतांशु अरुण का होगा सार्वजनिक अभिनंदन** 
राष्ट्रीय अंग समागम कार्यक्रम के दौरान चर्चित रंगकर्मी और *”महुआ घटवारिन”* के लेखक *शीतांशु अरुण* का सार्वजनिक अभिनंदन किया जाएगा। शीतांशु अरुण ने अंगिका रंगमंच को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है और उनकी रचनाओं में अंग प्रदेश की संस्कृति और परंपराओं की झलक देखने को मिलती है। उनके योगदान को देखते हुए इस समारोह में उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया जा रहा है। 

**कर्ण पुरस्कार सम्मान समारोह** 
इस अवसर पर आयोजित *कर्ण पुरस्कार* सम्मान समारोह कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण रहेगा। अंगिका भाषा, साहित्य और रंगमंच को समृद्ध करने वाले कई साहित्यकारों और रंगकर्मियों को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इस वर्ष कर्ण पुरस्कार पाने वालों में *13 महिलाओं* का विशेष स्थान रहेगा, जिन्होंने साहित्य, कला और सांस्कृतिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। 

**कवि सम्मेलन में गूंजेगी अंगिका भाषा की मिठास** 
कार्यक्रम में एक भव्य *कवि सम्मेलन* का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के कवि भाग लेंगे। कवि सम्मेलन का उद्देश्य अंगिका भाषा की समृद्धि और उसके साहित्यिक महत्व को बढ़ावा देना है। कवियों की रचनाओं के माध्यम से अंग प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत किया जाएगा। 

**आयोजन के प्रमुख आयोजक और उद्देश्य** 
यह कार्यक्रम *अंग जन गण*, *अंग मदद फाउंडेशन* और *अंगिका सभा फाउंडेशन* के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी प्रेस वार्ता के दौरान *प्रसन्न लताम* ने दी। उन्होंने कहा, 
*”इस आयोजन का उद्देश्य अंगिका भाषा और साहित्य को नई पहचान दिलाना है। अंगिका भाषा हमारी सांस्कृतिक विरासत है और इसे प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन बेहद जरूरी है।”* 

**अंगिका भाषा के प्रोत्साहन पर दिया गया जोर** 
प्रेस वार्ता के दौरान मौजूद *शंभु दयाल खैतान*, *सुधीर मंडल*, *वंदना झा*, *डॉक्टर अमरेंद्र* और *प्रसन्न लताम* सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने अंगिका भाषा को आगे बढ़ाने पर बल दिया। सभी वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि अंगिका भाषा को विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की दिशा में भी ठोस प्रयास किए जाने चाहिए। 

**महिलाओं की विशेष भागीदारी** 
इस वर्ष के कार्यक्रम की खास बात यह है कि इसमें महिलाओं की विशेष भागीदारी सुनिश्चित की गई है। *13 प्रतिभावान महिलाओं* को कर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने साहित्य, रंगमंच और सामाजिक क्षेत्र में अपने अद्वितीय योगदान से अंग क्षेत्र को गौरवान्वित किया है। इन महिलाओं ने अपनी रचनात्मकता और सामाजिक जागरूकता से अंगिका भाषा और संस्कृति को नई दिशा दी है। 

**साहित्यकारों और रंगकर्मियों का समागम** 
“राष्ट्रीय अंग समागम” में देशभर से आए साहित्यकार और रंगकर्मी शामिल होंगे। यह कार्यक्रम केवल अंगिका भाषा के प्रचार-प्रसार का माध्यम नहीं है, बल्कि एक ऐसा मंच भी है जहाँ विभिन्न विचारधाराओं और संस्कृतियों का आदान-प्रदान होगा। प्रतिभागियों का मानना है कि ऐसे आयोजन भाषा और साहित्य की समृद्धि के लिए आवश्यक हैं। 

**भविष्य की योजनाओं पर चर्चा** 
कार्यक्रम के दौरान *अंग मदद फाउंडेशन* और *अंगिका सभा फाउंडेशन* के प्रतिनिधियों ने भविष्य में अंगिका भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए और भी बड़े कार्यक्रम आयोजित करने की योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अंगिका भाषा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए निरंतर प्रयास किए जाएंगे। 

**निष्कर्ष** 
*विश्व मातृभाषा दिवस* के अवसर पर आयोजित होने वाला *राष्ट्रीय अंग समागम* न केवल अंगिका भाषा और संस्कृति को प्रोत्साहित करने का प्रयास है, बल्कि यह आयोजन साहित्य और रंगमंच के उन महान योगदानकर्ताओं को श्रद्धांजलि भी है, जिन्होंने अंग प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बनाए रखा। 

*वीरेंद्र नारायण* के जन्मशती वर्ष पर आयोजित यह कार्यक्रम उनके साहित्यिक योगदान को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का भी माध्यम बनेगा। साथ ही, *कर्ण पुरस्कार* से सम्मानित होने वाले साहित्यकारों और रंगकर्मियों को यह पुरस्कार भविष्य में और अधिक रचनात्मक कार्यों के लिए प्रेरित करेगा। 

इस आयोजन के माध्यम से एक बार फिर यह संदेश दिया गया है कि मातृभाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं होती, बल्कि यह समाज की सांस्कृतिक पहचान, परंपरा और सभ्यता की प्रतीक होती है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में *राष्ट्रीय अंग समागम* जैसे आयोजनों के जरिए अंगिका भाषा और संस्कृति को और अधिक पहचान मिलेगी और यह भाषा वैश्विक मंच पर भी अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज कराएगी। 

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *