भागलपुर; टीएमबीयू के पीजी बॉटनी विभाग में अंतरराष्ट्रीय स्तर के बॉटनिकल गार्डेन के दो माली में से एक को वहां से हटा दिया गया है। अब वह टीएमबीयू के रजिस्ट्रार के घर पर ड्यूटी करेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं इस गार्डेन के अधीक्षक तपन कुमार पान भी अगले साल जनवरी में सेवानिवृत होंगे लेकिन उनके बाद कौन संभालेगा इसको लेकर अभी तक कोई तैयारी नहीं की गई है। ऐसे में इस बॉटनिकल गार्डेन का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है।

टीएमबीयू के रजिस्ट्रार ने शुक्रवार को आदेश जारी करते हुए दो कर्मचारियों का तबादला कर दिया। इसमें से एक सिपिन कुमार राष्ट्रीय स्तर के बॉटनिकल गार्डेन का माली है। कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाला यह माली पांच वर्षों से इस गार्डेन की देखभाल करता था और प्रत्येक पौधे को पहचानता था लेकिन वहां के गार्डेन को अब एक मात्र माली रविन्द्र मंडल ही देखेंगे।

1971 में स्थापित हुआ था यह बॉटनिकल गार्डेन

टीएमबीयू के पीजी बॉटनी विभाग की स्थापना 1969 में हुई थी और 1971 में टीएमबीयू बॉटनिकल गार्डेन की स्थापना तत्कालीन विभागाध्यक्ष प्रो. केएस बिलग्रामी ने की थी। जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक थे। उस समय यह बॉटनिकल गार्डेन भागलपुर का एक दर्शनीय स्थल था। इसमें एक लक्षमण झूला था लेकिन बाद में यह बंद हो गया। बॉटनिकल गार्डेन में उस समय तीन माली थे और कई मजदूर हमेशा काम करते थे। अब मात्र दो माली बचे थे जिसमें से एक को ले लिया गया। आज कुछ क्षेत्र में तो जंगल है लेकिन कुछ क्षेत्र में अन्य पौधों को संरक्षित कर देखभाल किया जा रहा है।

इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के बॉटनिकल गार्डेन में 12 सौ पौधे हैं। जिनमें से 50 से अधिक विलुप्तप्राय पौधे हैं। जैसे जींगो, स्वेत चंदन, सीता अशोक, फैरेरिया, गुगुल, आगर वुड आदि। यहां कई औषधीय पौधे भी हैं। आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कजर्वेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज) की सूची में दर्ज कई पौधे इस गार्डेन में संरक्षित हैं। आरबीनेट-डीजीसीआई में इस गार्डेन को तृतीय श्रेणी में स्थान दिया गया है।

असुरक्षित भी है यह गार्डेन

अधीक्षक ने कहा कि रात में तो वहां दरबान है लेकिन सुबह छह बजे से दस बजे कार्यालय खुलने तक यह पूरा गार्डेन असुरक्षित है। जिससे कोई भी इसे नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिये एक माली की सख्त आवश्यकता है। हालांकि कार्यरत माली सभी पौधों को पहचानने के कारण ज्यादा बेहतर होगा।

नये अधीक्षक की कोई तैयारी नहीं

यहां कार्यरत अधीक्षक तपन कुमार पान 1984 से हैं। वे जनवरी 2023 में सेवानिवृत हो जायेंगे। उनके विकल्प के तौर पर किसी भी व्यक्ति को रखने की तैयारी अभी तक विवि ने शुरू नहीं की है।

देश-विदेश से आते हैं कई शोधकर्ता

इस गार्डेन में आज भी शोध के लिये कई शोधकर्ता देश-विदेश से आते हैं और उसपर शोध करते हैं। यहां पर विलुप्तप्राय पौधों को लगाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है। पीजी बॉटनी के विभागाध्यक्ष प्रो. सीबी सिंह ने कहा कि माली को मांगने के लिए उन्होंने रजिस्ट्रार और कुलपति को पत्र भेजा है। माली के जाने से इस गार्डेन रूपी धरोहर पर खतरा मंडरा रहा है।

कोट

उस विभाग से माली उनके सरकारी आवास पर बुलाया गया है ताकि वहां लंबे समय से जमे जंगल की सफाई की जा सके। जरूरत होगी तो वहां एक माली भेजा जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *