नकदी खेती की तरफ अब लोगों को रुझान बढ़ा है. बता दें कि पिछले कुछ सालों में मशरूम की खेती की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है. बता दें कि मशरूम की खेती के लिए किसानों को कम जगह और मेहनत की जरूरत होती है और मुनाफा परंपरागत फसलों के मुकाबले कही ज्यादा होता है. आज हम एक ऐसी ही महिला के बारे में बताएंगे जो मशरूम की खेती कर अच्छी कमाई कर रही है. बता दें कि इस महिला ने पिछले एक दशक में 20 हजार से अधिक लोगों को ट्रेनिंग देकर मशरूम को एक नया आयाम तक पहुंचाया है.

बता दें कि यह पूरी कहानी है दरभंगा जिला के बलभद्रपुर की रहने वाला पुष्पा झा का. पुष्पा साल 2010 से मशरूम की खेती कर रही है. वर्तमान में इनके पास एक दिन में करीब 10 किलो मशरूम का उत्पादन होता है, जिसे वह 100 से 150 रुपये किलों के हिसाब से बेच रही है. इस हिसाब से पुष्पा एक हजार से 1500 रुपये कमाती है. मशरुम की खेती को लेकर पुष्पा बताती है कि “आज से दस साल पहले मेरे इलाके में लोगों को मशरूम की खेती के बारे में ज्यादा पता नहीं था. मेरे पति को किसी ने इसके बारे में बताया. वह चाहते थे कि मैं घर पर खाली बैठे रहने के बजाय कुछ काम करूं. फिर हमने समस्तीपुर के पूसा विश्वविद्यालय से मशरूम की खेती की ट्रेनिंग लेने का फैसला किया.”

आगे बोलते हुए उन्होंने बताया कि “जब तक हम ट्रेनिंग लेने वहां पहुंचे सभी सीटें भर चुकी थीं. लेकिन रमेश किसी भी हाल में इस ट्रेनिंग को पूरा करना चाहते थे और उन्होंने अधिकारियों से अनुरोध किया. अंत में अधिकारी मान गए और हम दोनों ने एक साथ छह दिनों की ट्रेनिंग पूरी की.” उन्होंने कहा कि आजकल तो मशरूम की खेती सालभर आसानी से हो जाती है. लेकिन उस दौर में, गर्मी के दिनों में यह संभव नहीं था और हमने जब ट्रेनिंग ली, उस वक्त जून का महीना था और गर्मी काफी तेज थी. इसलिए हमने करीब तीन महीने का इंतजार किया और सितंबर 2010 से इसकी खेती शुरू कर दी.”

पुष्पा अपने भविष्य को लेकर बताते हुए कहती है कि आज मेरा बेटा इलाहाबाद में हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई कर रहा है. जैसे ही उसकी पढ़ाई पूरी होती है हम अपने मशरूम की खेती को एक कंपनी का रूप देना शुरू कर देंगे. फिलहाल हम अपने उत्पाद मशरूम किसान पुष्पा झा के नाम से बेचते हैं. पुष्पा यह भी कहती है कि मेरा उद्देश्य हैं कि अधिक-अधिक महिलाओं को मशरूम की खेती से जोड़ाकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है.

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