भागलपुर-खगड़िया संसदीय क्षेत्र के सांसद राजेश वर्मा आज भागलपुर व्यवहार न्यायालय में एक पुराने आपराधिक मामले में सशरीर उपस्थित हुए। यह मामला उस समय का है जब वे भागलपुर नगर निगम के उप महापौर के पद पर कार्यरत थे। कोर्ट में पेशी के दौरान उन्होंने अपनी ओर से जमानत की अर्जी दाखिल की, जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए उन्हें बेल दे दी।
मिली जानकारी के अनुसार, राजेश वर्मा पर नगर निगम कार्यकाल के दौरान कुछ निर्णयों और गतिविधियों को लेकर एक आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया था। यह मामला कई वर्षों से न्यायालय में लंबित था, जिसकी सुनवाई के लिए आज उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होना पड़ा।
राजेश वर्मा पूर्व में भागलपुर नगर निगम में उप महापौर के पद पर कार्यरत थे और अब खगड़िया-भागलपुर से सांसद हैं। उनके खिलाफ दर्ज पुराने केस में यह सुनवाई काफी अहम मानी जा रही थी, जिसे लेकर प्रशासन और समर्थकों की ओर से विशेष तैयारियां की गई थीं।
कोर्ट में उनकी उपस्थिति के मद्देनज़र सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। न्यायालय परिसर में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था से बचा जा सके। इसके साथ ही सांसद के सैकड़ों समर्थक भी न्यायालय परिसर के बाहर जुटे रहे।
पेशी के दौरान राजेश वर्मा ने मीडिया से दूरी बनाए रखी और सीधे कोर्ट के अंदर प्रवेश किया। कोर्ट की कार्यवाही के दौरान उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जमानत की अर्जी प्रस्तुत की। न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद उनकी जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया।
राजेश वर्मा की इस पेशी को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा बनी रही। उनके समर्थकों का कहना है कि यह मामला पूरी तरह राजनीतिक साजिश के तहत दर्ज किया गया था और सांसद हमेशा से कानून का सम्मान करते आए हैं। वहीं विरोधी दलों ने भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
न्यायालय परिसर में माहौल पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा, हालांकि प्रशासनिक सतर्कता के चलते हर आने-जाने वाले व्यक्ति की निगरानी की जा रही थी। पूरे क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही थी और पुलिस की टीमें लगातार गश्त पर थीं।
कोर्ट से बाहर निकलने के बाद राजेश वर्मा ने अपने समर्थकों का अभिवादन किया लेकिन मीडिया से कोई बातचीत नहीं की। उनके साथ कई स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की भी मौजूदगी रही।
विशेषज्ञों की मानें तो अदालत से मिली यह जमानत सांसद के लिए राहत भरी जरूर है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया अभी समाप्त नहीं हुई है। आगामी सुनवाई में इस मामले की गहराई से जांच और बहस की जाएगी।
राजेश वर्मा की कोर्ट में पेशी और जमानत मिलना आने वाले समय में उनके राजनीतिक करियर पर क्या असर डालेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल, समर्थकों में राहत का माहौल है और वे इसे न्याय की जीत बता रहे हैं।
प्रशासन की ओर से भी स्पष्ट कर दिया गया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और हर मामले में न्यायालय की प्रक्रिया के तहत ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने भागलपुर में राजनीतिक हलचल जरूर पैदा कर दी है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा चर्चा में बना रह सकता है।
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