पटना के बिहटा स्थित नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में लीवर की बीमारी के लिए इलाज के लिए आधुनिक मशीन लगाये गये हैं. इन मशीनों के सहारे अब मरीजों को अब फैटी लीवर से होने वाली बीमारी के बारे में समय से जानकारी मिल जाएगी. नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में लीवर के इलाज के आधुनिक मशीन का उद्घाटन बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने किया. 

इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रत्यय अमृत ने मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं को कहा कि डॉक्टर बनने का मुख्य मकसद समाज का कल्याण करना है. छात्र छात्राओं को अपने संस्थान नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से सीख लेनी चाहिये. इस संस्थान ने जिस तरह से गरीब मरीजों के इलाज की व्यवस्था की है, छात्र और छात्रायें वैसे ही गरीबों की मदद करने का संकल्प लें. उन्होंने कहा की इस तरह की मशीन लगाई गई है. 

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सुभाष मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल बिहार का तीसरा ऐसा संस्थान हैं, जहां लीवर के इलाज के लिए  फाइब्रोस्केन मशीन लगाई गई है. इस मशीन के माध्यम से फैटी लीवर की स्थिति और उससे संबंधित बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. इस मशीन का उपयोग ईआरसीपी के साथ ही अन्य इंडोस्कोपिक तथा फ्लूटोस्कोपी में हो सकेगा. 

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का निरीक्षण भी किया. निरीक्षण के दौरान उन्होंने छात्र-छात्राओं के साथ साथ वहां भर्ती मरीजों से हाल-चाल जाना. उन्होंने मरीजों से पूछा कि क्या इस अस्पताल में उनका सही तरीके से इलाज किया जा रहा है. उन्होंने अस्पताल में दी जा रही सुविधा और रियायती दर पर किये जा रहे इलाज के बारे में पूरी जानकारी ली.

इस कार्यक्रम में मौजूद पटना एम्स के कार्डियो थोरैसिक के एचओडी डॉ संजीव कुमार ने संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि फाइब्रो स्कैन सिस्टम से पांच मिनट में बिना किसी दर्द के लिवर की स्कैनिग की जा सकती है. इससे बीमारी से पहले और बाद की स्टेज का भी आंकलन किया जा सकता है. लिवर बायोप्सी में यह संभव नहीं था. फाइब्रो स्कैन लिवर में फाइब्रोसिस (स्कारिग) और स्टीटोसिस (वसायुक्त परिवर्तन) को मापता है. इससे बीमारी को पहली स्टेज पर ही पहचाना जा सकता है.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रबंध निदेशक कृष्ण मुरारी सिंह ने कहा कि जब तक लिवर 70 फीसदी डैमेज न हो जाए, तब तक पता ही नहीं चलता कि लिवर में कोई गड़बड़ी है. वहीं अब तक पेट में होने वाली किसी भी बीमारी की सही जानकारी सिर्फ बायोप्सी के जरिए ही मिलती थी. इसके लिए पेट के अंदर से  उस अंग का छोटा सा हिस्सा निकालना पड़ता था, जो दर्दनाक, जटिल प्रक्रिया थी. लेकिन अब फाइब्रो स्कैन सिस्टम के माध्यम से बायोप्सी के बिना ही इलाज संभव हो सकेगा.  इससे लीवर का इलाज आसानी से किया जा सकता है. संस्थान के प्रिंसिपल डॉ अरबिंद प्रसाद ने कहा नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल मरीजों को बेहद कम दर पर बेहतर इलाज देने के लिए तत्पर है.

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