बिहार के पटना जिले के मसौढ़ी प्रखंड के कोरियावां गांव ने अब एक नई पहचान बना ली है ,।
दुनिया के सबसे महंगे और पौष्टिक आम, मियाजाकी आम की सफल खेती के कारण। यह आम जापान के मियाजाकी शहर से दुनिया भर में प्रसिद्ध हुआ है और अब बिहार की मिट्टी में अपनी जड़ें जमा चुका है। इस आम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान और कीमत को देखते हुए अब स्थानीय किसान भी इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
कोरियावां गांव के प्रगतिशील किसान ललित कुमार सिंह ने बेंगलुरु से 500 रुपये प्रति पौधा की दर से मियाजाकी आम के पौधे मंगवाए थे। काफी देखभाल और मेहनत के बाद अब उनके बगीचे में ये पौधे फल देने लगे हैं। गुलाबी-बैंगनी रंग और सुनहरी चमक वाले ये आम देखने में जितने सुंदर हैं, स्वाद में भी उतने ही लाजवाब हैं। इनके लुभावने रंग-रूप के कारण आसपास के गांवों से लोग बड़ी संख्या में इन्हें देखने आ रहे हैं।
मियाजाकी आम की महंगी कीमत और दुर्लभता को देखते हुए इसकी सुरक्षा के भी खास इंतजाम किए गए हैं। बगीचे के चारों ओर करंट प्रवाहित कंटीले तार लगाए गए हैं, सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं, साथ ही सीसीटीवी कैमरों और प्रशिक्षित कुत्तों की मदद से पूरे क्षेत्र की निगरानी की जा रही है। किसान ललित कुमार सिंह कहते हैं, “जब लोग दूर-दूर से इन्हें देखने आते हैं, तो गर्व होता है कि मसौढ़ी जैसे गांव में भी अब दुनिया का सबसे महंगा आम फल रहा है।”
मियाजाकी आम के अद्भुत स्वास्थ्य लाभ भी इसे और खास बनाते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, बीटा-कैरोटीन और फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर को डिटॉक्स करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और आंखों की रोशनी को सुधारने में मदद करते हैं। इस कारण इसे एक सुपरफूड के रूप में भी देखा जा रहा है।
जापान में इसे “एग ऑफ द सन” यानी “सूरज का अंडा” भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी खेती गर्मी के मौसम में होती है और इसका रंग सूर्य की आभा जैसा होता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 2.5 लाख से 3 लाख रुपये प्रति किलो तक जाती है, जो इसे दुनिया का सबसे महंगा आम बनाता है।
मसौढ़ी जैसे ग्रामीण क्षेत्र में इसकी खेती यह सिद्ध करती है कि अगर किसान तकनीक का सही उपयोग करें और मेहनत करने को तैयार हों, तो वे भी वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बना सकते हैं। ललित कुमार सिंह की यह पहल न केवल अन्य किसानों को प्रेरित कर रही है, बल्कि बिहार को फलों की दुनिया में एक नया मुकाम भी दिला रही है।