भागलपुर के बूढ़ानाथ स्तिथ महंत काली के रहनेवाले धनंजय शर्मा के पुत्र मयंक ने देशभर का नाम रौशन कर दिया है। दरअसल 17 वर्षीय मयंक का कंप्यूटर से भी तेज दिमाग चलता है,जिसके बूते उन्होंने गूगल द्वारा दिए गए टास्क को पूरा कर उसके वेबसाइट की कोडिंग की,जिसके लिए उन्हें गूगल ने पुरस्कृत भी किया है।

इतना ही नहीं सॉफ्टवेयर बाय मयंक ने कई मल्टीनेशनल कंपनी के वेबसाइट की कोडिंग की है। जिसमें हाल ही में उन्होंने इंफोसिस जैसी बड़ी कंपनी के लिए कई प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के तहत उसके सिक्योरिटी सिस्टम की कोडिंग की इसके लिए उन्हें इंफोसिस कंपनी के द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पुरस्कार से नवाजा गया।

बताया यह भी जाता है कि मयंक के द्वारा बनाए गए सॉफ्टवेयर और वेबसाइट कुछ अलग होते हैं। जिसमें कोडिंग दिखाई देती है, जबकि अधिकांश वेबसाइट में कोडिंग दिखाई नहीं देती है।

वही इस तेजतर्रार 17 वर्षीय युवक से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि बचपन से ही उन्हें इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का काफी शौक रहा था,और वह अपने बचपन के समय में मोबाइल वगैरह खोल कर खुद से ही उसे ठीक करने का प्रयास करते थे।

धीरे धीरे बढ़ती उम्र के साथ उन्हें कंप्यूटर से लगाव होने लगा हालांकि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण मयंक के पिता उन्हें कंप्यूटर दिलाने में सक्षम नहीं थे।

मयंक ने बताया कि उनके चाचा ने सभी भाई बहनों की परवरिश की थी जिन के देहांत के बाद पढ़ाई लिखाई में उसे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, बता दें की मयंक तीन भाई में सबसे बड़े हैं।

वहीं चाचा के देहांत के पश्चात भी उन्होंने आस नहीं खोई और माता पिता के सहयोग से उन्होंने कलिंग विश्वविद्यालय से डिस्टेंस कोर्स लेकर बीसीए की पढ़ाई शुरू की,और सॉफ्टवेयर की कोडिंग भागलपुर में ही रहकर सीखना शुरू कर दिया।

मयंक कहते हैं कि 6 महीने में ही उन्हें सॉफ्टवेयर से संबंधित काफी जानकारियां हासिल हो गई और उन्होंने खुद से वेबसाइट डिजाइन करना शुरू कर दिया। साथ ही कहा कि राज्य में रोजगार की स्थिति काफी लचर है जिसको देखते हुए उनका सपना है कि वह अपने प्रदेश में ही रह कर अपनी मिट्टी के लिए कुछ करना चाहते है इसलिए उन्होंने एक सॉफ्टवेयर बनाने का निर्णय लिया है।

मयंक कहते हैं कि 6 महीने में ही उन्हें सॉफ्टवेयर से संबंधित काफी जानकारियां हासिल हो गई और उन्होंने खुद से वेबसाइट डिजाइन करना शुरू कर दिया। साथ ही कहा कि राज्य में रोजगार की स्थिति काफी जिससे वह लोगों को सॉफ्टवेयर की कोडिंग और डिवेलप करने के तरीके बताना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि एक तो इससे आने वाली पीढ़ी डिजिटल संसाधनों को और बेहतर तरीके से समझ सकेगी इसके अलावा उन्हें रोजगार का भी अवसर मिल पायेगा। मयंक ने अपने सॉफ्टवेयर को डिवेलप करने की पूरी तैयारी कर ली है हालांकि आधुनिक उपकरण और संसाधन की कमी होने के कारण उसे समस्याओं का अब भी सामना करना पड़ रहा है। और उसे सरकारी स्तर से किसी भी तरह की मदद नहीं मिल पा रही है। वही मयंक ने सरकार से स्कॉलरशिप की मांग की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *