बिहार के 224 नगर निकायों का चुनाव दिसंबर में दो चरणों में कराये जाने के राज्य निर्वाचन आयोग में नयी कानूनी अड़चनें सामने आ गयी है. मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इस बीच पटना हाइकोर्ट में छह दिसंबर को इससे संबंधित दो महत्वपूर्ण याचिकाओं पर सुनवाई होगी. पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की बेंच नगर निकाय चुनाव पर सुनवाई करेगी. इसी दिन सरकार कोर्ट को इबीसी आयोग की रिपोर्ट की जानकारी दे सकती है. हालांकि राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को सुप्रीम कोर्ट में भी जवाब देना है.

वैसे गुरूवार को पटना हाइकोर्ट में नगर निकायों में प्रशासकों की तैनाती को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई हुई.  अंजू देवी बनाम राज्य सरकार और विजय कुमार विमल बनाम राज्य सरकार के इस मामले में जस्टिस ए अमानुल्लाह और जस्टिस सुनील दत्त मिश्र की खंडपीठ में सुनवाई हुई. दरअसल इस याचिका में नगर निकायों को प्रशासकों के जरिये चलाये जाने को चुनौती दी गयी है इस दौरान याचिकाकर्ता के वकीलों ने नगर निकाय चुनाव पर रोक लगाने की मांग की. लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट औऱ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के बेंच में होने के कारण इस बेंच ने चुनाव पर रोक लगाने को लेकर खंडपीठ ने कोई टिप्पणी नहीं की. 

अब नगर निकायों में प्रशासक नियुक्त किये जाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका के साथ साथ डिप्टी मेयर के पद पर आरक्षण से संबंधित याचिका पर छह दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश की बेंच में सुनवाई होगी. गुरुवार को जस्टिस ए. अमानुल्लाह की बेंच में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि नगर निकायों में अति पिछड़ों को आरक्षण देने के संबंध में अति पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट आ गयी है. सरकार का पक्ष रखते हुए एडवोकेट जेनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी है. सुनवाई के दौरान अदालत में नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव भी मौजूद थे.

एडवोकेट जेनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि नगर निकाय चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने 30 नवंबर को अधिसूचना जारी कर दी है. इसके अनुसार 18 दिसंबर को पहले चरण और 28 दिसंबर को दूसरे चरण का चुनाव होगा. 31 दिसंबर तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी. एडवोकेट जेनरल ने कोर्ट से कहा कि अति पिछडा वर्ग आयोग की रिपोर्ट भी आ गयी है. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट से आग्रह किया गा कि चूंकि इससे संबंधित मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में होनी है. ऐसे में ये कोर्ट उस सुनवाई के बाद इस मामले की सुनवाई करे. 

हालांकि हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वालों की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता एसबीके मंगलम ने कोर्ट को बताया कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार पांच वर्ष की अवधि समाप्त होने के पहले नगर निकाय का चुनाव हर हाल में करा लेना है. बिहार में इसका पालन नहीं किया जा रहा है. कई नगर निकायों में प्रशासकों द्वारा काम कराया जा रहा है. ये संवैधानिक तौर पर गलत है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकार द्वारा अति पिछड़ा वर्ग आयोग को डेडिकेटेड कमीशन का दर्जा देने से इंकार कर दिया है. सरकार जिस रिपोर्ट की बात कह रही है  उसमें कोई नयी बात नहीं कही गयी है और राज्य निर्वाचन आयोग पहले की अधिसूचना के आधार पर ही चुनाव करा रहा है.

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