भागलपुर जिले के अकबरनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत किशनपुर फतेहपुर गांव में वर्षों से चला आ रहा एक जमीन विवाद आखिरकार हिंसा में तब्दील हो गया। दबंगों ने एक ही परिवार के नौ सदस्यों पर जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में सभी घायल हो गए हैं और गंभीर रूप से जख्मी पीड़ित परिवार ने प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।

घटना रविवार देर शाम की है जब गांव के कुछ दबंगों ने 22 डिसमिल जमीन को लेकर चल रहे पुराने विवाद में धीरेंद्र यादव के पूरे परिवार पर हमला बोल दिया। घायल धीरेंद्र यादव ने बताया कि यह विवाद वर्षों पुराना है और इसे लेकर पहले भी वे तीन बार थाना में आवेदन दे चुके हैं, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उनका कहना है कि यह चौथी बार है जब विवाद हिंसक हुआ और इस बार हमला इतना गंभीर था कि पूरा परिवार सहम गया।

घटना में घायल लोगों की पहचान धीरेंद्र कुमार यादव, आदित्य कुमार, प्रद्युम्न कुमार, प्रशांत कुमार, लक्ष्मी देवी, सोनाली कुमारी, अंजली कुमारी, नविता देवी और प्रियंका देवी के रूप में हुई है। पीड़ितों के मुताबिक, हमलावरों में से एक व्यक्ति भारतीय सेना का जवान भी है, जो हमले के समय मौजूद था और उसने भी मारपीट में भाग लिया।

परिवार ने रोहित यादव, दीपक यादव, नितेश यादव, समीर यादव, अमित कुमार और मनोज यादव के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है। पीड़ितों का आरोप है कि जब भी उन्होंने अकबरनगर थाना में शिकायत की, उनकी शिकायतों को नजरअंदाज किया गया। थाना अध्यक्ष को कई बार इस मामले से अवगत कराया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

इस हिंसक घटना के बाद पीड़ित परिवार अस्पताल जाने के बजाय सीधे भागलपुर के वरीय पुलिस अधीक्षक हृदयकांत के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंचा। परिवार का कहना है कि उन्हें डर है कि अस्पताल जाने पर रास्ते में फिर से हमला हो सकता है, इसलिए उन्होंने सुरक्षा की गुहार सीधे एसपी से लगाई। पीड़ितों की स्थिति देख एसपी कार्यालय में अफरातफरी मच गई और वरीय अधिकारी ने तुरंत मामले की जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह विवाद लंबे समय से चला आ रहा है और प्रशासन की निष्क्रियता ने ही इस विवाद को हिंसा तक पहुंचाया। सवाल यह उठता है कि जब आम नागरिकों को न्याय पाने के लिए बार-बार अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ें, तब आखिर आम जनता की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा?

फिलहाल पुलिस प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पीड़ितों की शिकायत पर उच्च स्तरीय जांच की बात कही जा रही है। वहीं ग्रामीणों में इस घटना को लेकर दहशत का माहौल है और सभी लोग प्रशासन से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब तक स्थानीय प्रशासन समय पर कार्रवाई नहीं करता, तब तक जमीनी विवाद जैसे मसले हिंसक रूप लेने से नहीं रुक सकते। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है और पीड़ित परिवार को कब और कैसे न्याय दिलाता है।

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